जैव कीटनाशक और सूक्ष्म पोषक तत्वों पर GST कटौती से किसानों को सीधे लाभ: वित्त मंत्री

नयी दिल्ली { गहरी खोज }:वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि जैव कीटनाशकों और सूक्ष्म पोषक तत्वों पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) में की गई कटौती से किसानों को सीधे लाभ मिलेगा और उन्हें सशक्त बनाया जाएगा।
कोप्पल ज़िले के मेघवाल गांव में किसानों के प्रशिक्षण एवं एग्रो-प्रोसेसिंग के लिए साझा सुविधा केंद्र के उद्घाटन के बाद सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने GST को “लोगों के लिए और सरल तथा लाभकारी” बनाने का मार्गदर्शन दिया।
सीतारमण ने कहा, “हमने नवरात्रि के पहले दिन से ही नया GST ढांचा लागू किया है। कई वस्तुओं पर कर दरें घटाई गई हैं — जिनमें कृषि उपकरण जैसे ट्रैक्टर, सोलर चालित मशीनें और अन्य कृषि यंत्र शामिल हैं, जिनसे हमारे ‘अन्नदाता’ को सीधा फायदा होगा।”
वित्त मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को हर साल ₹6,000 की राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से सीधे उनके बैंक खातों में भेजी जाती है।
“कर्नाटक में 43 लाख से अधिक किसान इस योजना का लाभ ले रहे हैं,” उन्होंने कहा।
सीतारमण ने आगे बताया कि प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना के तहत देश के 100 जिलों को शामिल किया गया है, जिनमें कोप्पल जिला भी है।
“यह योजना ₹24,000 करोड़ के बजट के साथ 2025-26 के बजट में घोषित की गई थी। इसके तहत किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज, प्राकृतिक खेती और जल संरक्षण का प्रशिक्षण, बेहतर सिंचाई सुविधाएं और बाज़ार तक आसान पहुँच उपलब्ध कराई जाएगी,” उन्होंने बताया।
उन्होंने कहा कि उत्तर कर्नाटक का कोप्पल जिला कृषि विविधता से भरपूर है और राज्य के धान उत्पादन में लगभग 10 प्रतिशत योगदान देता है।
“यहाँ की उपजाऊ भूमि आम, अमरूद, अंगूर, अनार, पपीता और अंजीर जैसे कई फलों के लिए प्रसिद्ध है। इन खेतों की समृद्ध परंपरा को पीढ़ियों से यहाँ के किसानों ने संभाला है। सरकार का कर्तव्य है कि उन्हें उनकी उपज का उचित मूल्य मिले,” सीतारमण ने कहा।
उन्होंने बताया कि ‘प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्योग औपचारिकरण योजना (PM-FME)’, जो 2020 में शुरू की गई थी, स्थानीय उद्यमियों को वित्तीय, तकनीकी और व्यवसायिक सहायता प्रदान करती है ताकि वे अपने सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना या उन्नयन कर सकें। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण उद्यमियों को स्थानीय फसलों (जैसे बाजरा, फल या मूंगफली) को बाज़ार योग्य खाद्य उत्पादों, स्नैक्स या सामग्री में बदलने में सक्षम बनाना है।
2020-21 से 2025-26 तक केंद्र सरकार ने इस योजना के तहत विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ₹3,700 करोड़ से अधिक राशि जारी की है।
देशभर में ₹11,000 करोड़ से अधिक के ऋण सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को स्वीकृत किए गए हैं और एक लाख से अधिक उद्यमियों को प्रशिक्षण भी दिया गया है। सीतारमण ने कहा, “यह पहल न सिर्फ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बना रही है, बल्कि किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी बड़ा कदम है।”