प्रधानमंत्री आवास योजना ने बदली देश की तस्वीर, 1.2 करोड़ घरों से बढ़ी लोगों की समृद्धि : एसबीआई रिपोर्ट

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नयी दिल्ली { गहरी खोज }:देश में प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (PMAY-U) और इसके दूसरे चरण PMAY-U 2.0 के तहत 25 अगस्त 2025 कुल 1.2 करोड़ मकानों को मंजूरी दी जा चुकी है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यह योजना केवल आवास उपलब्ध कराने तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह लोगों के जीवन में आर्थिक बदलाव और संपन्नता का प्रतीक बनकर उभरी है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस योजना ने लोगों में वित्तीय स्थिरता, खर्च करने की क्षमता और सुख-सुविधा में उल्लेखनीय वृद्धि की है।
एसबीआई के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. सौम्य कांति घोष के मुताबिक मंजूर किए गए मकानों में से 75 प्रतिशत मकानों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। हालांकि, कुछ राज्यों-आंध्र प्रदेश, बिहार और हरियाणा में प्रगति दर 60 प्रतिशत से कम है। वहीं प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी 2.0 की शुरुआत 1 सितंबर 2024 को हुई थी, जिसका उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में रहने वाले 1 करोड़ पात्र परिवारों को केंद्रीय सहायता प्रदान करना है, ताकि हर नागरिक बेहतर जीवन स्तर का आनंद ले सके। यह योजना आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS), निम्न आय वर्ग (LIG) और मध्यम आय वर्ग (MIG) के उन परिवारों के लिए है, जिनके पास देश में कहीं भी पक्का मकान नहीं है।
रिपोर्ट में बताया गया कि योजना के तहत ‘नॉर्मलाइज्ड शैनन एंट्रॉपी स्कोर’ 0.84 है, जो यह दर्शाता है कि मकान निर्माण का लाभ देशभर में समान रूप से फैला हुआ है। यहां तक कि कम आय वाले राज्यों में भी योजना के तहत सक्रिय भागीदारी देखी गई है। शैनन एंट्रॉपी एक सांख्यिकीय माप है जो किसी परिणाम में असमानता या अनिश्चितता को दर्शाता है।
एसबीआई की रिपोर्ट बताती है कि पीएम आवास योजना का असर घरेलू खर्च के पैटर्न पर भी सकारात्मक रहा है। योजना के लाभार्थियों में डेबिट कार्ड (अनिवार्य खर्च) और यूपीआई लेनदेन (वैकल्पिक खर्च) दोनों में वृद्धि दर्ज की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे निचले 25 प्रतिशत खर्च करने वाले परिवारों में डेबिट कार्ड के माध्यम से खर्च में इजाफा हुआ है, जो यह दिखाता है कि सब्सिडी वाले आवास ऋण मिलने से उनकी वित्तीय आजादी बढ़ी है। ये परिवार यह महसूस कर रहे हैं कि उनके आवास खर्च बाजार दरों की तुलना में काफी कम हैं, जिससे उनमें ‘वेल्थ इफेक्ट’ यानी संपन्नता की भावना बढ़ी है।
रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम आवास योजना की किस्त मिलने के बाद महिला उधारकर्ताओं में वैकल्पिक खर्च (डिस्क्रिशनरी स्पेंडिंग) में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। साथ ही सभी आयु वर्गों और शहरी व अर्ध-शहरी क्षेत्रों में यूपीआई लेनदेन में भी तेजी आई है। यह रिपोर्ट इस बात का प्रमाण है कि प्रधानमंत्री आवास योजना न केवल ‘हर परिवार को घर’ देने की दिशा में काम कर रही है, बल्कि यह देश के आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन की प्रेरक शक्ति बन चुकी है।

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