अमेरिका को भारत और सहयोगी देशों से समर्थन की उम्मीद, चीन के साथ व्यापारिक तनाव में बेसेंट

वॉशिंगटन{ गहरी खोज }: चीन द्वारा दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों को लेकर बढ़ते व्यापारिक तनाव के बीच, अमेरिकी वित्त सचिव स्कॉट बेसेंट ने कहा है कि वॉशिंगटन को भारत और अन्य सहयोगी देशों से समर्थन मिलने की उम्मीद है। सोमवार को फॉक्स बिजनेस को दिए एक साक्षात्कार में बेसेंट ने कहा, “यह चीन बनाम पूरी दुनिया है।” उन्होंने कहा, “उन्होंने पूरे स्वतंत्र विश्व की आपूर्ति श्रृंखला और औद्योगिक ढांचे पर एक ‘बाज़ूका’ तान दिया है।” उन्होंने कहा, “चीन एक कमांड-एंड-कंट्रोल अर्थव्यवस्था है। वे न तो हमें आदेश देंगे और न ही नियंत्रित करेंगे। हम विभिन्न तरीकों से अपनी संप्रभुता जताएंगे।”
बेसेंट ने आगे कहा, “हम पहले ही अपने सहयोगियों से संपर्क में हैं। हम इस सप्ताह उनसे मुलाकात करेंगे और मुझे उम्मीद है कि हमें यूरोपीय देशों, भारत और एशिया के लोकतांत्रिक देशों से पर्याप्त वैश्विक समर्थन मिलेगा।” वित्त सचिव ने चेतावनी दी कि अमेरिका का प्रतिद्वंद्वी “उकसाने वाले” कदम उठा रहा है। उन्होंने कहा, “संयुक्त राज्य अमेरिका दुनिया में शांति चाहता है। चीन युद्ध को वित्तपोषित कर रहा है।” बेसेंट ने कहा, “डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात से पहले दबाव बनाने की कोशिश करना एक बुरा विचार है।”
रिपोर्टों के अनुसार, ट्रम्प इस महीने के अंत में दक्षिण कोरिया में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात कर सकते हैं। रविवार को, ट्रम्प ने चीन पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी देने के बाद बढ़ते व्यापार युद्ध की आशंकाओं को शांत करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि अमेरिका चीन की मदद करना चाहता है, नुकसान नहीं पहुंचाना।
वर्तमान में अमेरिका ने चीनी वस्तुओं पर 55 प्रतिशत शुल्क लगा रखा है। “चीन की चिंता मत करो, सब ठीक हो जाएगा!” ट्रम्प ने ट्रुथ सोशल पर लिखा। “अत्यंत सम्मानित राष्ट्रपति शी सिर्फ एक कठिन समय से गुजर रहे हैं। वे अपने देश में मंदी नहीं चाहते और न ही मैं। अमेरिका चीन की मदद करना चाहता है, नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता!” यह बयान उस समय आया जब चीन ने 1 नवंबर से चीनी वस्तुओं पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाने की ट्रम्प की धमकी पर आधिकारिक प्रतिक्रिया दी। चीन वैश्विक दुर्लभ खनिज उत्पादन में लगभग 70 प्रतिशत और प्रसंस्करण क्षमता में करीब 90 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है।
इस बीच, ट्रम्प प्रशासन ने भारत पर 25 प्रतिशत पारस्परिक टैरिफ और रूसी तेल की खरीद पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगाया है, जिससे भारत पर कुल शुल्क 50 प्रतिशत तक पहुंच गया है — जो विश्व में सबसे अधिक में से एक है। भारत ने अमेरिका द्वारा लगाए गए इन शुल्कों को “अनुचित और अन्यायपूर्ण” बताया है।