रक्षा मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय नियम आधारित व्यवस्था बनाए रखने में भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया

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  • संयुक्त राष्ट्र में सैन्य योगदान देने वाले 32 देशों के वरिष्ठ अधिकारियों का सम्मेलन शुरू हुआ

नई दिल्ली { गहरी खोज }: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सैन्य योगदानकर्ता देशों (यूएनटीसीसी) के प्रमुखों के सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय नियम आधारित व्यवस्था को बनाए रखने में भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि कुछ देश अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करके उन्हें कमजोर कर रहे हैं। कुछ देश अपने नियम बनाकर अगली सदी पर हावी होना चाहते हैं। अपनी स्वतंत्रता के आरंभ से ही भारत अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के अपने मिशन में संयुक्त राष्ट्र के साथ दृढ़ता से खड़ा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र में सैन्य योगदान देने वाले 32 देशों के वरिष्ठ अधिकारियों का सम्मेलन नई दिल्ली के मानेकशा सेंटर में शुरू हुआ है, जो 16 अक्टूबर तक चलेगा। पहली बार भारतीय सेना की मेजबानी में हो रहे इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में सैनिक भेजने वाले देशों के प्रतिनिधिमंडल हिस्सा लेने आये हैं। इनमें अल्जीरिया, आर्मेनिया, ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान, ब्राजील, बुरुंडी, कंबोडिया, मिस्र, इथियोपिया, फिजी, फ्रांस, घाना, इटली, कजाखिस्तान, केन्या, किर्गिस्तान, मेडागास्कर, मलेशिया, मंगोलिया, मोरक्को, नेपाल, नाइजीरिया, पोलैंड, रवांडा, श्रीलंका, सेनेगल, तंजानिया, थाईलैंड, युगांडा, उरुग्वे और वियतनाम के प्रमुख भागीदारी कर रहे हैं।
उद्घाटन सत्र में रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत के लिए यह सिर्फ़ बातचीत का विषय नहीं है, क्योंकि हजारों भारतीय संयुक्त राष्ट्र के झंडे तले शांति और विकास के लिए काम करते हैं। यह एक प्रमुख उदाहरण है, जो भारत के सिद्धांत और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। भारत के लिए शांति स्थापना कभी भी एक विकल्प का कार्य नहीं रहा है, बल्कि एक आस्था का विषय रहा है। अपनी स्वतंत्रता के आरंभ से ही भारत अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के अपने मिशन में संयुक्त राष्ट्र के साथ दृढ़ता से खड़ा रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत महात्मा गांधी की भूमि है, जहां शांति हमारे अहिंसा और सत्य के दर्शन में गहराई से निहित है। महात्मा गांधी के लिए शांति केवल युद्ध नहीं, बल्कि न्याय, सद्भाव और नैतिक शक्ति की एक सकारात्मक स्थिति थी। रक्षा मंत्री ने कहा कि हजारों भारतीय संयुक्त राष्ट्र के झंडे तले शांति स्थापना के विचार के लिए प्रतिबद्ध हैं, क्योंकि यह आस्था का विषय है, न कि केवल पसंद का कार्य। उन्होंने कहा कि यूएनटीसीसी प्रमुखों का सम्मेलन शांति और मानवीय गरिमा को बनाए रखने के प्रयासों की पुष्टि करता है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र चार्टर के महत्व पर चर्चा की, जिसे द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुई तबाही के बाद बनाया गया था।
उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन शांति, स्थिरता और मानवीय गरिमा को बनाए रखने के हमारे सामूहिक प्रयास की पुष्टि है, जो संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का आधार है। द्वितीय विश्व युद्ध की तबाही के बाद संयुक्त राष्ट्र चार्टर का निर्माण एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम था। उन्होंने कहा कि राष्ट्रों ने महसूस किया कि विकास, वृद्धि और समृद्धि के लिए शांति आवश्यक है। भारत संयुक्त राष्ट्र चार्टर का संस्थापक हस्ताक्षरकर्ता था। यह भारत के अपने ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के दर्शन को दर्शाता है, जो हमें सिखाता है कि दुनिया एक परिवार है।
सम्मेलन में थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि शांति स्थापना में सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक भारत ने संयुक्त राष्ट्र के कुल 71 शांति अभियानों में से 51 अभियानों में लगभग 3 लाख पुरुषों और महिलाओं को भेजा है। हमारे सैनिकों ने अदम्य संकल्प के साथ सेवा की है, साथ ही हमें अमूल्य अनुभव भी प्राप्त हुआ है, जिसे हम हमेशा सभी के साथ साझा करने के लिए तत्पर हैं। नई दिल्ली स्थित संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना केंद्र ने शांति स्थापना कार्यों में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है, जिससे साझा समझ को बढ़ावा मिला है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना की मेजबानी में पहली बार इस सम्मेलन का आयोजन आपसी सहयोग को मजबूत करने और वैश्विक शांति के मिशन को आगे बढ़ाने के हमारे साझा संकल्प की भी पुष्टि है।

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