नई आपराधिक कानूनों से भारत की प्रणाली न्याय-केंद्रित हुई, सजा-केंद्रित नहीं: शाह

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जयपुर{ गहरी खोज } : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि तीन नए आपराधिक कानूनों के लागू होने के साथ ही भारत की न्याय प्रणाली अब सजा के बजाय न्याय-केंद्रित हो गई है। उन्होंने कहा कि ये कानून सभी को न्याय तक आसान और समय पर पहुंच सुनिश्चित करते हैं। शाह यह बातें जयपुर में एक प्रदर्शनी का उद्घाटन करने के बाद कही, जहां उन्हें नए कानूनों के तहत आपराधिक जांच और अभियोजन का डेमो दिखाया गया। जयपुर प्रदर्शनी और कन्वेंशन सेंटर (JECC) में आयोजित इस प्रदर्शनी में भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में सजा-केंद्रित दृष्टिकोण से न्याय और पारदर्शिता पर आधारित दृष्टिकोण में बदलाव को प्रदर्शित किया गया। “तीन नए कानून सभी के लिए न्याय तक आसान और समय पर पहुंच प्रदान करेंगे। नए आपराधिक कानूनों के माध्यम से हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली सजा के बजाय न्याय-केंद्रित होगी,” शाह ने उपस्थित लोगों से कहा। ये नए कानून — भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1 जुलाई, 2024 से लागू हुए और इन्होने उपनिवेशकालीन भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को प्रतिस्थापित किया। नए कानूनों का उद्देश्य न्याय वितरण को तेज, नागरिक-केंद्रित और अधिक पारदर्शी बनाना है। शाह ने लोगों से स्वदेशी उत्पाद खरीदने का आग्रह भी किया, जिससे भारत की बाजार क्षमता और उपभोग बढ़े और देश को विश्व के लिए उत्पादन का केंद्र बनाया जा सके।

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