जय अहोई माता, जय अहोई माता, तुमको निसदिन ध्यावत हर विष्णु विधाता, देखें अहोई माता की आरती लिखित में

धर्म { गहरी खोज } : अहोई अष्टमी का व्रत माताओं के लिए बेहद खास होता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को रखने से संतान को लंबी आयु और सुखी जीवन की प्राप्ति होती है। इस साल ये व्रत 13 अक्तूबर 2025 को पड़ा है। इस दिन महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं और शुभ मुहूर्त में विधि विधान अहोई माता की पूजा-अर्चना करती हैं। इस व्रत में अहोई माता की कथा सुनना और आरती करना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां हम आपको बताएंगे अहोई अष्टमी की आरती के लिरिक्स।
अहोई अष्टमी की आरती
जय अहोई माता,जय अहोई माता।
तुमको निसदिन ध्यावतहर विष्णु विधाता॥
जय अहोई माता…॥
ब्रह्माणी, रुद्राणी, कमलातू ही है जगमाता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावतनारद ऋषि गाता॥
जय अहोई माता…॥
माता रूप निरंजनसुख-सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावतनित मंगल पाता॥
जय अहोई माता…॥
तू ही पाताल बसंती,तू ही है शुभदाता।
कर्म-प्रभाव प्रकाशकजगनिधि से त्राता॥
जय अहोई माता…॥
जिस घर थारो वासावाहि में गुण आता।
कर न सके सोई कर लेमन नहीं धड़काता॥
जय अहोई माता…॥
तुम बिन सुख न होवेन कोई पुत्र पाता।
खान-पान का वैभवतुम बिन नहीं आता॥
जय अहोई माता…॥
शुभ गुण सुंदर युक्ताक्षीर निधि जाता।
रतन चतुर्दश तोकूकोई नहीं पाता॥
जय अहोई माता…॥
श्री अहोई माँ की आरतीजो कोई गाता।
उर उमंग अति उपजेपाप उतर जाता॥
जय अहोई माता…॥