ठाणे में हेरंबा आर्ट्स 25वर्ष प्राचीन पर्यावरणुकूल दीयों से दीवाली

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मुंबई{ गहरी खोज : दिवाली नजदीक आते ही ठाणे के बाजार जगमगा उठते हैं। स्टेशन रोड, नौपाड़ा, राम मारुति रोड इलाकों में दिवाली की सजावट से सजी दुकानें और सड़कों पर लटके रंग-बिरंगे दीयों की सजावट ठाणे के उत्सवी माहौल का सच्चा प्रतीक बन गई है। लेकिन इस भीड़ में भी, हेरम्बा आर्ट्स के दीये हमेशा सबका ध्यान अपनी ओर खींचते हैं। पिछले 25 सालों से, कैलाश देसले की हेरम्बा आर्ट्स ठाणे में दिवाली की दीयों को एक अलग ही चमक दे रही है। पर्यावरण-अनुकूल सामग्रियों से दीये बनाना उनकी खासियत है। जूट, बांस, कपड़े, चटाई, कार्डबोर्ड और प्राकृतिक सामग्रियों से बने ये दीये सिर्फ सजावट के लिए नहीं, बल्कि पर्यावरण जागरूकता का प्रतीक बन गए हैं।
इन लालटेनों को पारंपरिक पंचकोणीय, वर्गाकार, षट्कोणीय और बारोक डिज़ाइनों के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के जूट के बेलनाकार, झूमर, चक्र, छोटे लालटेन और तोरण से सजाया गया है। लेस, मोतियों, कांच और रंगीन कपड़ों की सजावट से इन लालटेनों को और भी आकर्षक बनाया गया है। इनकी कीमत 20 रुपये से शुरू होकर 2000 रुपये तक है, जिससे ये सभी वर्ग के ग्राहकों के लिए आसानी से उपलब्ध हैं।
हेरम आर्ट्स के पर्यावरण-अनुकूल लालटेन केवल ठाणेकरों तक ही सीमित नहीं हैं। अमेरिका, इंग्लैंड, सिंगापुर और जर्मनी जैसे देशों में भी इन लालटेनों की अच्छी माँग है। भारतीय परंपरा और प्राकृतिक शिल्पकला का संगम ये लालटेन विदेशों में भी ठाणे और महाराष्ट्र का गौरव बढ़ा रहे हैं।
हेरम आर्ट्स के आकाश लालटेन प्रकाश, परंपरा और पर्यावरण का एक सुंदर मिश्रण हैं। ये लालटेन न केवल घर को रोशन करती हैं, बल्कि ठाणेकरों के मन में हमारी परंपरा, हमारे कलाकारों और हमारे पर्यावरण के प्रति गर्व भी जगाती हैं। ठाणे में हेरम कला संस्थान के कैलाश देसाले का कहना है कि हर साल, हम ठाणेकरों की पसंद का अध्ययन करके नए डिज़ाइन तैयार करते हैं। इस साल, पारंपरिक आकाश लालटेन फिर से चलन में हैं। इनमें आधुनिक सजावट और खूबसूरत रंगों का मिश्रण है।

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