दूषित खांसी की दवा से 22 बच्चों की मौत पर असली दोषियों पर कार्रवाई की मांग

भोपाल{ गहरी खोज }: मध्य प्रदेश के हजारों सरकारी डॉक्टरों ने शुक्रवार को डॉ. प्रवीन सोनी की “गैरकानूनी गिरफ्तारी” के खिलाफ विरोध दर्ज कराया। डॉक्टरों का कहना है कि ‘कोल्ड्रिफ’ (Coldrif) नामक दूषित खांसी की दवा से 22 बच्चों की मौत के मामले में डॉ. सोनी को “बलि का बकरा” बनाया गया है। उन्होंने असली दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
डॉक्टरों का आरोप है कि विवाद के केंद्र में रही यह खांसी की दवा जहरीले औद्योगिक सॉल्वेंट से बनी थी। उन्होंने मिलावटी दवाओं के निर्माताओं को मृत्युदंड देने की मांग की। राज्यभर के अलग-अलग डॉक्टर संगठनों से जुड़े इन चिकित्सा कर्मियों ने शुक्रवार को अपनी बांहों पर काली पट्टी बांधकर विरोध जताया, लेकिन नियमित कार्य जारी रखा। पुलिस ने छिंदवाड़ा से डॉ. प्रवीन सोनी को बच्चों की मौत के मामले में कथित लापरवाही के आरोप में गिरफ्तार किया। प्रोग्रेसिव मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन ऑफ एमपी (PMTAMP), मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन, प्रांतीय संविदा मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन, ईएसआई डॉक्टर एसोसिएशन, मेडिकल ऑफिसर्स होम डिपार्टमेंट और जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के सदस्यों ने मृत बच्चों की याद में दो मिनट का मौन रखा।
करीब 8,500 सरकारी डॉक्टरों ने राज्यभर में डॉ. सोनी की गिरफ्तारी के खिलाफ विरोध किया।
गुरुवार रात भोपाल में डॉक्टर संगठनों की बैठक में शांतिपूर्ण विरोध और “डॉक्टर समुदाय के खिलाफ बदनाम करने की मुहिम” का विरोध करने के लिए ओवरटाइम काम करने का निर्णय लिया गया। पीएमटीएएमपी अध्यक्ष डॉ. राकेश मालवीय और महासचिव डॉ. अशोक ठाकुर ने कहा कि डॉ. सोनी ने गरीबों की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए कोल्ड्रिफ खांसी की दवा लिखी थी, जिसकी कीमत मात्र ₹30 प्रति बोतल थी, जबकि अन्य दवाओं की कीमत ₹100 से अधिक थी। यह खांसी की दवा पिछले 30 वर्षों से एमपी में उपयोग में है, उन्होंने कहा।
“एफडीए क्या कर रहा था?” डॉ. मालवीय और ठाकुर ने कहा, “यह जहरीली दवा थी जिसमें औद्योगिक सॉल्वेंट मिला था। दवा की आपूर्ति और बिक्री से पहले जांच की जानी चाहिए थी। इसके बजाय एक डॉक्टर को बलि का बकरा बना दिया गया।”
उन्होंने कहा कि डॉ. सोनी की गिरफ्तारी सुप्रीम कोर्ट के जैकब मैथ्यू बनाम पंजाब राज्य मामले के आदेश के खिलाफ है। अदालत ने डॉक्टरों पर आपराधिक मामला दर्ज करने से पहले जांच आवश्यक बताई थी। डॉ. मालवीय ने कहा, “जो अधिकारी जहरीले पदार्थों की जांच के लिए जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। मिलावटी दवाओं के निर्माताओं को मृत्युदंड का प्रावधान किया जाना चाहिए।”
राज्य में केवल चार दवा परीक्षण प्रयोगशालाएं — भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर — हैं, जिनमें से केवल भोपाल की लैब पूरी तरह सुसज्जित है। कोल्ड्रिफ सिरप में 48.6% डाइएथिलीन ग्लाइकॉल, एक अत्यंत जहरीला यौगिक, पाया गया। चेन्नई की सरकारी दवा परीक्षण प्रयोगशाला में जांच के बाद इसे “मानक गुणवत्ता का नहीं (NSQ)” घोषित किया गया। इसके बाद मध्य प्रदेश सरकार ने राज्यभर में कोल्ड्रिफ की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया। स्रेसन फार्मा के मालिक जी. रंगनाथन को 9 अक्टूबर को एमपी पुलिस की एसआईटी ने गिरफ्तार किया और शुक्रवार को अदालत ने उन्हें 10 दिन की पुलिस हिरासत में भेजा।