भारत ने जैव विविधता के संरक्षण के लिए नेशनल रेड लिस्ट असेसमेंट पहल शुरू की

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: भारत ने गुरुवार को अपनी प्रजातियों की संरक्षण स्थिति का सटीक मूल्यांकन करने और जैव विविधता पर सम्मेलन तथा कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए नेशनल रेड लिस्ट असेसमेंट (NRLA) पहल की शुरुआत की।
अबू धाबी में आयोजित IUCN वर्ल्ड कंज़र्वेशन कांग्रेस में जारी नेशनल रेड लिस्ट रोडमैप के तहत एक राष्ट्रीय स्तर पर समन्वित रेड-लिस्टिंग प्रणाली बनाई जाएगी, जो संरक्षण योजना, नीतिगत निर्णय और खतरा कम करने के उपायों में सहायक होगी, ऐसा केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री किर्ती वर्धन सिंह ने कहा।
सिंह ने नेशनल रेड लिस्ट असेसमेंट 2025-2030 विज़न डॉक्यूमेंट भी प्रस्तुत किया, जिसे प्राणि सर्वेक्षण विभाग (ZSI) और वनस्पति सर्वेक्षण विभाग (BSI) ने IUCN-इंडिया और सेंटर फॉर स्पीशीज़ सर्वाइवल के सहयोग से तैयार किया है।
उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य 2030 तक वनस्पति और जीव-जंतुओं दोनों के लिए नेशनल रेड डेटा बुक्स प्रकाशित करना है, जो IUCN के वैज्ञानिक दिशा-निर्देशों के अनुरूप होंगे। कार्यक्रम के दौरान मंत्री ने कहा कि भारत की भूमि विश्व के कुल क्षेत्रफल का केवल 2.4 प्रतिशत है, लेकिन यहां विश्व की लगभग 8 प्रतिशत पौधों की प्रजातियाँ और 7.5 प्रतिशत पशु प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें कई स्थानिक (endemic) प्रजातियाँ शामिल हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 को वर्ष 2022 में CITES के तहत सूचीबद्ध प्रजातियों को शामिल करने के लिए सशक्त किया गया है, जो संरक्षण को कानूनी मजबूती प्रदान करता है। सरकार ने बताया कि NRLA का नेतृत्व पर्यावरण मंत्रालय करेगा, जबकि ZSI और BSI नोडल एजेंसियां होंगी। यह पहल टैक्सोनॉमिस्ट्स, संरक्षण जीवविज्ञानी और विषय विशेषज्ञों को एक साथ लाएगी ताकि सटीक प्रजाति पहचान और प्रमाण-आधारित संरक्षण निर्णय सुनिश्चित किए जा सकें। मंत्री ने पारंपरिक ज्ञान के दस्तावेजीकरण को भी संरक्षण प्रयासों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बताया।

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