खाँसी की दवा से बच्चों की मौत पर CBI जांच और देशव्यापी दवा सुरक्षा समीक्षा की मांग वाली PIL पर SC करेगा सुनवाई

नई दिल्ली{ गहरी खोज }: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस PIL पर सुनवाई करने का निर्णय लिया, जिसमें मध्य प्रदेश और राजस्थान में कथित रूप से जहरीली खाँसी की दवाओं के सेवन से बच्चों की मौत के बाद जांच और दवा सुरक्षा तंत्र में सुधार की मांग की गई है।प्रधान न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति उज्जल भुय्यन तथा के. विनोद चंद्रन की पीठ ने PIL प्रस्तुतकर्ता और वकील विशाल तिवारी के दावों को ध्यान में लिया कि इस याचिका की सुनवाई तत्काल आवश्यक है। पीठ ने याचिका की सुनवाई 10 अक्टूबर को करने पर सहमति जताई। याचिका में घटनाओं की कोर्ट-निगरानी में जांच की मांग की गई है और सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में राष्ट्रीय न्यायिक आयोग या विशेषज्ञ समिति गठित करने का आग्रह किया गया है।
पीएल में यह अनुरोध किया गया है कि जहरीली खाँसी की दवाओं के सेवन से बच्चों की मौतों से संबंधित सभी लंबित FIR और जांच को CBI को सौंपा जाए। याचिका में सुझाव दिया गया है कि सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश की निगरानी में जांच सुनिश्चित करेगी कि जांच निष्पक्ष और समान हो। याचिका में यह तर्क दिया गया है कि अलग-अलग राज्य-स्तरीय जांच ने जिम्मेदारी में विखंडन पैदा किया है, जिससे बार-बार त्रुटियां होती रही हैं और खतरनाक दवाएं बाजार तक पहुँचती रही हैं। मध्य प्रदेश और राजस्थान से ऐसी रिपोर्टें सामने आई हैं, जहां कथित रूप से विशेष प्रकार की खाँसी की दवा खाने के बाद कई बच्चों की मौत हुई।
याचिका में कोर्ट से यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि केंद्र सरकार उन नियामक विफलताओं की पहचान करे, जिनके कारण मानकहीन दवाएं बाजार तक पहुँच गईं। साथ ही याचिका में अदालत से यह भी कहा गया है कि किसी भी उत्पाद की आगे की बिक्री या निर्यात से पहले NABL-प्रमाणित प्रयोगशालाओं के माध्यम से सभी संदिग्ध उत्पादों का विषविज्ञान परीक्षण अनिवार्य किया जाए।