कार्तिक मास में तुलसी की पूजा कैसे करें? यहां मिलेगी सही जानकारी

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धर्म { गहरी खोज } : कार्तिक महीना 8 अक्टूबर 2025 से शुरू हो गया है। इस पूरे महीने में तुलसी की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। कहते हैं जो कोई इस महीने में तुलसी माता की विधि विधान पूजा करता है और सुबह-शाम तुलसी की आरती करता है उसे भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। लेकिन अब सवाल ये आता है कि आखिर कार्तिक महीने में तुलसी पूजन की सही विधि क्या है? तो चलिए आपको बताते हैं कार्तिक महीने में तुलसी की पूजा कैसे करनी चाहिए और पूजा के समय किन मंत्रों का जाप करना चाहिए।

कार्तिक मास में तुलसी पूजा विधि
कार्तिक महीने में तुलसी की पूजा करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में जागें और अपने नित्य कर्म से निवृत होने के बाद साफ कपडे पहनें। इसके बाद एक तांबे के लोटे में शुद्ध जल भरकर तुलसी पर चढ़ाएं। जल चढ़ाते समय ‘ॐ तुलस्यै नमः’ इस मंत्र को बोलें। इसके बाद तुलसी के पौधे के समक्ष घी का दीपक जलाएं। फिर तुलसी माता की आरती करें। ऐसा पूरे कार्तिक महीने करें। इससे आपको भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होगी।

कार्तिक मास में तुलसी पूजा मंत्र

  1. वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।

पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।

एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।

य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।

  1. ॐ तुलस्यै नमः

कार्तिक महीने में तुलसी पूजा का महत्व
कार्तिक महीने में तुलसी के समक्ष घी का दीपक जलाने से मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इससे व्यक्ति के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और मृत्यु के बाद बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी सच्ची श्रद्धा से पूरे कार्तिक महीने तुलसी की सुबह-शाम पूजा करता है उसे जीवन में सारे सुख प्राप्त होते हैं।

तुलसी माता की आरती
जय जय तुलसी माता,
मैया जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता,
सबकी वर माता ॥
॥ जय तुलसी माता…॥
सब योगों से ऊपर,
सब रोगों से ऊपर ।
रज से रक्ष करके,
सबकी भव त्राता ॥
॥ जय तुलसी माता…॥
बटु पुत्री है श्यामा,
सूर बल्ली है ग्राम्या ।
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे,
सो नर तर जाता ॥
॥ जय तुलसी माता…॥
हरि के शीश विराजत,
त्रिभुवन से हो वंदित ।
पतित जनों की तारिणी,
तुम हो विख्याता ॥
॥ जय तुलसी माता…॥
लेकर जन्म विजन में,
आई दिव्य भवन में ।
मानव लोक तुम्हीं से,
सुख-संपति पाता ॥
॥ जय तुलसी माता…॥
हरि को तुम अति प्यारी,
श्याम वर्ण सुकुमारी ।
प्रेम अजब है उनका,
तुमसे कैसा नाता ॥
हमारी विपद हरो तुम,
कृपा करो माता ॥
॥ जय तुलसी माता…॥
जय जय तुलसी माता,
मैया जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता,
सबकी वर माता ॥

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