कार्तिक महीने में ये पावन कथा सुनने मात्र से ही चमक जाएगी किस्मत, सभी पापों से मिल जाएगी मुक्ति

0
fb_img_1610116358890

धर्म { गहरी खोज } : कार्तिक मास कथा का पाठ पूरे कार्तिक महीने करना चाहिए। इस साल कार्तिक महीना 8 अक्तूबर 2025 से 5 नवंबर 2025 तक रहेगा। धर्म ग्रंथों में इस महीने को सबसे श्रेष्ठ महीने का दर्जा प्राप्त है। पुराणों अनुसार कार्तिक मास में स्नान, दान, दीप दान, तुलसी पूजन और कार्तिक कथा पढ़ने का विशेष महत्व माना जाता है। वैसे तो कार्तिक महीने के हर दिन कई अलग-अलग कथाएं पढ़ी जाती हैं लेकिन एक ऐसी कहानी है जिसे अगर आप इस महीने के हर दिन पढ़ते हैं तो आपके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाएंगे। चलिए बताते हैं कार्तिक मास की इस चमत्कारी कथा के बारे में आपको।

कार्तिक मास की कथा

कार्तिक मास की कथा अनुसार एक गांव में एक बुढ़िया रहती थी जो कार्तिक का व्रत रखा करती थी। उसके व्रत खोलने के समय भगवान कृष्ण आते और एक कटोरा खिचड़ी रखकर चले जाते। उस बुढ़िया के पड़ोस में एक औरत रहती थी जो ये देखकर जला करती थी कि इसका कोई नहीं है फिर भी इसे खाने के लिए खिचड़ी मिल ही जाती है। एक दिन कार्तिक महीने का स्नान करने बुढ़िया गंगा गई और पीछे से कृष्ण भगवान उसके लिए खितड़ी रख गए। पड़ोसन ने देखा कि अभी बुढ़िया घर पर नहीं है तब वह कटोरा उठाकर घर के पिछवाड़े फेंक आई।

जब कार्तिक स्नान करके बुढ़िया घर आई तो उसे खिचड़ी का कटोरा नहीं मिला और वह भूखी ही रह गई। बार-बार एक ही बात कहती कि कहां गई मेरी खिचड़ी और कहां गया मेरा खिचड़ी का कटोरा। पड़ोसन ने जहां खिचड़ी गिराई थी वहां एक पौधा निकल आया जिसमें दो फूल खिले।

एक बार राजा उस बुढ़िया के घर के पास से निकला तो उसकी नजर उन दोनो फूलों पर पड़ी और वह उन्हें तोड़कर घर ले आया। उसने वह फूल रानी को दिए जिन्हें सूंघने पर रानी गर्भवती हो गई। कुछ समय बाद रानी ने दो पुत्रों को जन्म दिया। जब वह दोनों बड़े हो गए तब वह किसी से भी बोलते नहीं थे लेकिन जब वह दोनों शिकार पर जाते तो रास्ते में उन्हें वही बुढ़िया मिलती जो अभी भी यही कहती कि कहां गई मेरी खिचड़ी और कहां गया मेरा कटोरा? बुढ़िया की बात सुनकर हर बार वह दोनों एक ही जवाब देते कि हम है तेरी खिचड़ी और हम है तेरा बेला।

एक बार राजा के कानों में यह बात पड़ गई तो उसे आश्चर्य हुआ कि दोनों लड़के किसी से नहीं बोलते लेकिन यह बुढ़िया से कैसे बात करते हैं। तब राजा ने बुढ़िया को राजमहल बुलवाया और कहा कि हमारे दोनों पुत्र किसी से भी बात नहीं करते लेकिन ये तुमसें कैसे बोलते हैं? बुढ़िया ने कहा कि महाराज मुझे नहीं पता कि ये कैसे मुझसे बोल लेते हैं। मैं तो कार्तिक मास का व्रत किया करती थी और कृष्ण भगवान मुझे खिचड़ी का बेला भरकर दे जाते थे।

लेकिन एक दिन जब मैं कार्तिक स्नान करके घर वापस आई तो मुझे वह खिचड़ी नहीं मिली। जब मैं कहने लगी कि कहां गई मेरी खिचड़ी और कहां गया मेरा बेला? तब इन दोनों लड़कों ने मेरी बात सुनी तो ये कहने लगे कि तुम्हारी पड़ोसन ने तुम्हारी खिचड़ी फेंक दी थी तो उसके दो फूल बन गए थे। वह फूल राजा तोड़कर ले गया और रानी ने सूंघा तो हम दो लड़को का जन्म हुआ। हमें भगवान ने ही तुम्हारे लिए भेजा है। सारीबात सुनकर राजा ने बुढ़िया को महल में ही रहने को कहा। हे कार्तिक महाराज। जैसे आपने बुढ़िया की बात सुनी वैसे ही आपका व्रत करने वालों की भी सुनना।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *