डायबिटीज है या नहीं, ये पता करने के लिए 2 बार ब्लड सैंपल क्यों लेना पड़ता है?

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लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: डायबिटीज यानी मधुमेह एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में शुगर (ग्लूकोज़) का स्तर असामान्य रूप से बढ़ जाता है। इसे सही तरह से पहचानना ज़रूरी होता है ताकि समय पर इलाज शुरू किया जा सके और जटिलताओं से बचा जा सके। अक्सर लोग पूछते हैं कि डायबिटीज की जांच के लिए डॉक्टर दो बार ब्लड सैंपल क्यों लेते हैं। चलिए एक्सपर्ट से जानते हैं आखिर डॉक्टर यह सलाह क्यों देते हैं।

डायबिटीज है या नहीं यह सुनिश्चित करना है ज़रूरी:
दिल्ली में स्थित पीएसआरआई अस्पताल में वरिष्ठ सलाहकार, एंडोक्राइनोलॉजी और डायबिटीज़ रोग एक्सपर्ट डॉ. हिमिका चावला कहती हैं कि इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण है। जब किसी व्यक्ति का शुगर लेवल पहली बार जांच में अधिक आता है, तो डॉक्टर यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि यह परिणाम केवल अस्थायी न हो। कई बार तनाव, थकान, किसी संक्रमण या हाल ही में खाए गए भोजन के कारण भी ब्लड शुगर अस्थायी रूप से बढ़ सकता है। इसलिए, दोबारा सैंपल लेने से यह पक्का किया जाता है कि शुगर का स्तर लगातार ऊंचा है या नहीं। यदि दोनों बार रिपोर्ट में शुगर स्तर अधिक आता है, तो यह डायबिटीज का स्पष्ट संकेत होता है

डायबिटीज का स्टेज किया जाता है चेक
आमतौर पर डॉक्टर फास्टिंग ब्लड शुगर टेस्ट (खाली पेट शुगर), पोस्टप्रांडियल टेस्ट (खाने के दो घंटे बाद शुगर), या HbA1c टेस्ट (तीन महीनों का औसत शुगर स्तर) कराने की सलाह देते हैं। इन परीक्षणों से पता चलता है कि शरीर इंसुलिन को ठीक से उपयोग कर रहा है या नहीं।

दो बार ब्लड सैंपल लेने का उद्देश्य केवल पुष्टि करना नहीं होता, बल्कि यह भी समझना होता है कि डायबिटीज किस स्तर पर है — शुरुआती अवस्था (प्रिडायबिटीज) या पूरी तरह विकसित डायबिटीज। इससे डॉक्टर सही इलाज और जीवनशैली में बदलाव की सलाह दे सकते हैं।

इसलिए, अगर डॉक्टर दो बार ब्लड सैंपल लेने को कहें, तो घबराएं नहीं। यह आपकी सुरक्षा के लिए किया जाता है, ताकि निदान पूरी तरह सटीक हो और उपचार प्रभावी रूप से शुरू किया जा सके।

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