विजय कुमार मल्होत्रा ने राजनीति, जनसेवा और खेल जगत में अमिट छाप छोड़ीः मोदी

नई दिल्ली{ गहरी खोज }: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उन्होंने राजनीति, जनसेवा और खेल जगत तीनों क्षेत्रों में अमिट छाप छोड़ी। मल्होत्रा का जीवन भारतीय राजनीति और संगठन के लिए एक प्रेरणास्रोत है।
प्रधानमंत्री ने सोमवार को एक्स और नमो एप पर एक आलेख साझा करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी परिवार ने हाल ही में अपने सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक को खो दिया। प्रो. मल्होत्रा ने जीवन में अनेक उपलब्धियां हासिल कीं, लेकिन उससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह था कि उन्होंने परिश्रम, दृढ़ निश्चय और सेवा से भरा जीवन जिया। उनके जीवन को देखकर समझा जा सकता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जनसंघ और भाजपा के मूल संस्कार क्या हैं– विपरीत परिस्थितियों में साहस, स्वयं से ऊपर सेवा भावना और राष्ट्रीय-सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति गहरी निष्ठा।
उन्होंने उल्लेख किया कि विभाजन के समय मल्होत्रा परिवार ने भयावह परिस्थितियों का सामना किया, परंतु उस पीड़ा ने उन्हें आत्मकेंद्रित नहीं बनाया। इसके विपरीत, उन्होंने स्वयं को समाज सेवा में समर्पित कर दिया। उन्होंने बंटवारे में विस्थापित हुए हजारों परिवारों की मदद की और उनके पुनर्वास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जनसंघ के साथी मदनलाल खुराना और केदारनाथ साहनी के साथ उन्होंने दिल्ली में निःस्वार्थ सेवा कार्य किए, जिन्हें आज भी लोग याद करते हैं। मोदी ने याद किया कि 1967 में दिल्ली मेट्रोपॉलिटन काउंसिल के पहले चुनाव में जनसंघ ने शानदार प्रदर्शन किया था। लालकृष्ण आडवाणी चेयरमैन बने और मल्होत्रा को चीफ एग्जीक्यूटिव काउंसलर की जिम्मेदारी सौंपी गई—जो मुख्यमंत्री के समकक्ष पद था। उस समय उनकी उम्र मात्र 36 वर्ष थी। उन्होंने दिल्ली के इंफ्रास्ट्रक्चर और नागरिक सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया और राजधानी के विकास में नई दृष्टि दी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मल्होत्रा का दिल्ली से जुड़ाव अटूट रहा। ने हमेशा जनता के बीच रहकर जनहित के मुद्दों पर आवाज उठाते रहे। 1960 के दशक में गौ रक्षा आंदोलन में उनकी सक्रिय भागीदारी रही, जहां उन्हें पुलिस अत्याचारों का भी सामना करना पड़ा। आपातकाल के दौरान उन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष किया। 1984 में सिख विरोधी दंगों के दौरान जब सड़कों पर निर्दोष सिखों की हत्या हो रही थी, तब उन्होंने शांति और सद्भावना की आवाज उठाई और पीड़ितों के साथ खड़े रहे। प्रधानमंत्री ने लिखा कि मल्होत्रा का मानना था कि राजनीति केवल चुनाव जीतने का माध्यम नहीं, बल्कि सिद्धांतों और मूल्यों की रक्षा का भी दायित्व है। वे संगठन के लिए एक संस्था निर्माता थे, जिन्होंने जनसंघ और भाजपा की दिल्ली इकाई को मजबूत नेतृत्व प्रदान किया। उन्होंने सिविक प्रशासन, विधानसभा और संसद सभी स्तरों पर उल्लेखनीय योगदान दिया।
मोदी ने 1999 के लोकसभा चुनाव का उल्लेख किया, जब मल्होत्रा ने दक्षिण दिल्ली से डॉ. मनमोहन सिंह को हराया था। यह चुनाव बेहद हाई-प्रोफाइल था, लेकिन मल्होत्रा ने सकारात्मक प्रचार किया, कभी व्यक्तिगत हमले नहीं किए और 50 प्रतिशत से अधिक वोटों से विजय प्राप्त की। यह उनकी जनता के साथ गहरे संबंधों और मजबूत संगठनात्मक पकड़ का प्रमाण था। प्रधानमंत्री ने लिखा कि संसद में मल्होत्रा हमेशा सटीक तैयारी के साथ बोलते थे। यूपीए-1 के दौरान विपक्ष के उपनेता के रूप में उन्होंने भ्रष्टाचार और आतंकवाद के मुद्दों पर सरकार को घेरा। मोदी ने कहा, ‘‘उन दिनों मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था और हम अक्सर बातचीत करते थे। वे गुजरात की विकास यात्रा को लेकर हमेशा उत्सुक रहते थे।’’
राजनीति के साथ-साथ मल्होत्रा एक शिक्षाविद् और विद्वान भी थे। उन्होंने अपनी पढ़ाई समय से पहले पूरी की थी और हिंदी पर गहरी पकड़ रखते थे। वे डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के भाषणों का हिंदी अनुवाद करते थे। उन्होंने संघ से जुड़ी कई सांस्कृतिक और शैक्षिक संस्थाओं की स्थापना की, जिनके माध्यम से अनेक प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का अवसर मिला। प्रधानमंत्री ने कहा कि इन संस्थाओं ने समाज में सेवा और आत्मनिर्भरता की भावना को प्रोत्साहित किया। मल्होत्रा ने खेल प्रशासन में भी असाधारण योगदान दिया। वे आर्चरी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के लंबे समय तक अध्यक्ष रहे और उनके नेतृत्व में भारतीय तीरंदाजी को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली। खिलाड़ियों के लिए अवसर और संसाधन उपलब्ध कराने में उनका योगदान महत्वपूर्ण रहा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मल्होत्रा को लोग न केवल उनके पदों के लिए, बल्कि उनकी संवेदनशीलता और समर्पण भावना के लिए याद करते हैं। वे हमेशा लोगों की कठिनाइयों में उनके साथ खड़े रहे और विपरीत परिस्थितियों में भी अपने दायित्वों से पीछे नहीं हटे। मोदी ने बताया कि हाल ही में दिल्ली भाजपा के नए मुख्यालय के उद्घाटन के दौरान उन्होंने मल्होत्रा को स्नेहपूर्वक याद किया। उन्होंने कहा, ‘‘तीन दशक बाद जब भाजपा ने दिल्ली में सरकार बनाई, तो वे बहुत प्रसन्न थे। उनकी अपेक्षाएं बड़ी थीं, जिन्हें पूरा करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।’’ प्रधानमंत्री ने अपने लेख के अंत में कहा कि आने वाली पीढ़ियां मल्होत्रा के जीवन, कार्यों और आदर्शों से प्रेरणा लेती रहेंगी। उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि समर्पण, संगठन और सेवा भावना से समाज और राष्ट्र के लिए कितना कुछ किया जा सकता है।