तमिलनाडु में खासी की दवा में मिले हानिकारक तत्व, स्वास्थ्य मंत्रालय ने छह राज्यों में 19 दवा निर्माण इकाइयों में शुरू की जांच

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: तमिलनाडु में खासी की दवा के जांच सैंपल में हानिकारक रसायन पाए जाने के बाद खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने कोल्ड्रिक कफ सिरप के उत्पादन और बिक्री पर रोक लगा दी। शनिवार को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार तमिलनाडु के कांचीपुरम स्थित स्रेशन फार्मा के मैन्युफैक्चरिंग यूनिट से लिए गए कोल्ड्रिफ कफ सिरप के सैंपल्स में डाईएथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) निर्धारित सीमा से अधिक मात्रा में पाया गया है। यह जांच मध्य प्रदेश सरकार के अनुरोध पर कराई गई थी।
इस रिपोर्ट ने मंत्रालय की चिंता बढ़ा दी है। मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार ने जांच का दायरा बढ़ा दिया है। अब छह राज्यों में 19 दवा निर्माण इकाइयों की जांच शुरू की गई है। इन निरीक्षणों टीम में आईसीएमआर, एनआईवी, नीरी, सीडीएससीओ और एम्स नागपुर के विशेषज्ञ शामिल हैं। टीम विभिन्न सैंपल और कारणों की जांच कर रही है ताकि यह साफ हो सके कि बच्चों की मौत दवा से जुड़ी है या किसी अन्य संक्रमण और पर्यावरणीय कारणों से हुई है। मध्य प्रदेश में खांसी की दवा से जुड़ी गुणवत्ता संबंधी चिंताओं के बीच शुक्रवार को मंत्रालय ने बताया था कि सीडीएससीओ द्वारा कुल 6 नमूने एकत्र किए गए, जिनकी जांच की गई और सभी 6 नमूने हानिकारक रसायन (डाईएथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल) से मुक्त पाए गए।
साथ ही सूचित किया कि उनकी टीम द्वारा एकत्र किए गए 13 नमूनों में से 3 नमूनों का विश्लेषण किया गया, जो हानिकारक रसायन से मुक्त पाए गए।
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में कफ सिरप पीने से 10 बच्चों की मौत हुई है। पहला संदिग्ध मामला 24 अगस्त को सामने आया था। पहली मौत 7 सितंबर को हुई थी। इसके बाद 15 दिन में किडनी फेल होने से एक-एक कर 6 बच्चों की मौत हो गई। इसी तरह से कथित कफ सिरप पीने से राजस्थान में भी दो बच्चों की मौत दर्ज की गई। ऐतिहातन स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को परामर्श जारी कर दो साल से छोटे बच्चों को कफ सिरप न देने की सलाह दी है।

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