दशहरा पर्व पर सजी पुतलाें की बाजारें, रंग बिरंगे दशानन लोगों काे कर रहे आकर्षित

कानपुर{ गहरी खोज }: देश भर दो अक्टूबर को विजयदशमी (दशहरा) का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा। इसको लेकर शहर के तमाम बाजारों में बिकने के लिए रावण के पुतलों से सज चुके हैं। कानपुर में भी पुतलाें का बाजार गुलजार हाे चुका है। यहां रंग बिरंगे और चार फीट से लेकर 40 फीट लंबे पुतले बनाकर तैयार हैं, जिनकी कीमत आठ सौ से लेकर 25 हजार रुपये के बीच रखी गई है। इनकी शहर ही नहीं बल्कि आसपास के कई जिलाें से लोग रावण के पुतलाें खरीदने के लिए आ रहे हैं।
प्रदेशभर में होने रामलीला के आयोजनों के अलावा घरों और मोहल्लों में भी रावण के पुतले का दहन किया जाता है। इसको लेकर शहर के जीटी रोड स्थित फुटपाथ किनारे बड़ी संख्या में कारीगर रावण के पुतले को तैयार कर रहे हैं। बांस के ढांचें और रंगीन कागजों से तैयार किये गए ये पुतले लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं।
मूलरूप से कासगंज निवासी कारीगर बबलू ने बताया कि पिछले 20 सालों से पुतला बनाने का काम कर रहे हैं। अमूमन इन पुतलों की लंबाई चार फीट से लेकर 40 फीट तक होती है, जिन्हें आठ सौ से लेकर 25 हजार रुपये तक बेचा जाता है। इसके अलावा यदि उनके पास आने वाले ग्राहकों की पसंद और डिमांड के मद्देनजर भी पुतलों को बनाया जाता है। पुतला बनाने के लिए वह करीब एक महीने पहले से तैयारियों में जुट जाते हैं। 40 फीट लंबे एक पुतले को बनाने में चार से पांच लोगों की सात से 10 दिनों कड़ी मेहनत लगती है। हालांकि इस बार मौसम विभाग ने अनुमान लगाया है कि 30 सितंबर से तीन अक्टूबर तक बारिश होने की भी संभावना है, जो कहीं न कहीं उनके लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
कारीगर रामऔतार ने बताया कि वह लोग साल के 10 महीने चटाई बुनने का काम करते हैं। होली आने पर एक-दो महीने होलिका और दशहरा पर्व पर रावण के पुतले बनाते हैं। पुतला बनाने में उनके बच्चे भी मदद करते हैं, लेकिन भविष्य में उन्हें इस कार्य से दूर ही रखेंगे। उन्होंने बताया कि एक पुतला बनाने में करीब पांच सौ रुपये से 18 हजार रुपये की लागत और करीब 10 दिनों का समय लगता है। बाद में इन्हें कुछ मुनाफे के साथ बेचते हैं। कभी-कभी तो ऐसा भी होता है कि दशहरे वाले दिन की शाम पुतले बिक नहीं पाते हैं जिन्हें घाटे पर बेचना पड़ता है। राजस्थान के कारीगर रामविलास ने बताया कि कानपुर एक ऐसा शहर है, जहां जनपद ही नहीं बल्कि कन्नौज, कानपुर देहात, लखनऊ, औरैया, इटावा और उन्नाव से लोग रावण का पुतला खरीदने के लिए आते हैं।