स्वच्छता अभियान नहीं बल्कि संस्कार है, हर नागरिक को अपनाना चाहिए: मनोहर लाल

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास और ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि स्वच्छता केवल एक अभियान नहीं बल्कि एक आदत और संस्कार है जिसे हर नागरिक को अपनाना चाहिए। स्वच्छ भारत मिशन की असली ताकत जनता की भागीदारी है और हर व्यक्ति को सफाई मित्र बनकर इसे जीवनशैली का हिस्सा बनाना चाहिए।
मनोहर लाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक अंग्रेजी अखबार में लिखे अपने आलेख को साझा करते हुए कहा कि स्वच्छता केवल एक अभियान नहीं बल्कि हम सभी की साझा जिम्मेदारी है। प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में स्वच्छ भारत मिशन एक सच्चा जन आंदोलन बन गया है। जो पहल सरकार ने शुरू की थी वह आज हर गली, हर मोहल्ले और हर घर का गौरव बन गई है। प्रत्येक नागरिक एक सफाई मित्र है और हमें स्वच्छता को जीवन का हिस्सा बनाना होगा।
उन्होंने अपने लेख में कहा कि उन्हें आज भी 2014 का वह क्षण याद है जब प्रधानमंत्री मोदी ने झाडू़ उठाकर दिल्ली की सड़क की सफाई की थी। यह केवल प्रतीकात्मक कार्य नहीं था बल्कि गहरा संदेश था कि स्वच्छ भारत मिशन केवल सरकार पर निर्भर नहीं हो सकता बल्कि इसे हर नागरिक को अपनाना होगा। स्वच्छ भारत की असली ताकत यही रही है कि इसने हर व्यक्ति को सफाई मित्र बना दिया। स्कूल के बच्चों से लेकर गृहिणी, दुकानदार, मजदूर सभी ने झाडू़ उठाया और स्वच्छता को व्यक्तिगत गर्व और सम्मान का हिस्सा बनाया।
लेख में कहा कि 2014 में 40 प्रतिशत से कम घरों में शौचालय थे लेकिन आज 12 करोड़ से अधिक परिवारों को यह सुविधा उपलब्ध है। भारत खुले में शौच मुक्त घोषित हुआ है और हर घर शौचालय अब एक वास्तविकता है। इससे लाखों महिलाओं और बच्चों को सुरक्षा और सम्मान मिला है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि खुले में शौच से जुड़ी बीमारियों में कमी से लगभग तीन लाख बच्चों की जान बची है। अब मिशन कचरा प्रबंधन, ठोस और तरल अपशिष्ट प्रसंस्करण और पुराने डंपसाइट्स के सुधार की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
मनोहर लाल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की विशेषता यह रही कि उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन को केवल शौचालय और सड़क तक सीमित नहीं रखा बल्कि इसे गर्व और संस्कृति से जोड़ा। स्वच्छ विद्यालय अभियान और राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र जैसे प्रयासों ने इसे जन सम्मान का प्रतीक बनाया। त्योहार तब और आनंदमय होते हैं जब वे कचरा मुक्त होते हैं और हर छोटा प्रयास राष्ट्रीय गर्व में बदल जाता है।
उन्होंने कहा कि अब लक्ष्य यह होना चाहिए कि स्वच्छता को आदत और जीवनशैली में बदला जाए। स्थानीय निकायों को क्षमता विकसित करनी होगी ताकि केवल दिखावे की सफाई न होकर कचरा प्रसंस्करण और स्थायी समाधान पर काम हो। स्वच्छ सर्वेक्षण में अब यही आकलन किया जाता है कि घर घर कचरा संग्रह और उसका प्रबंधन किस स्तर पर हो रहा है।
त्योहारी सीजन पर मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने याद दिलाया है कि उत्सव तभी सार्थक होते हैं जब वे स्वच्छ और पर्यावरण अनुकूल हों। इसी भावना से स्वच्छता ही सेवा 2025 को 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक स्वच्छोत्सव थीम पर मनाया जा रहा है। 25 सितंबर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर एक दिन एक घंटा एक साथ अभियान के अंतर्गत करोड़ों लोगों ने श्रमदान कर स्वच्छता के प्रति अपनी जिम्मेदारी को दोहराया।
उन्होंने कहा कि बीते वर्ष आठ लाख से अधिक उपेक्षित स्थानों को सार्वजनिक स्थानों में बदला गया। यह साबित करता है कि सामूहिक प्रयास से स्वच्छता जीवन बदलने वाली शक्ति बन सकती है। इस अभियान की महानता केवल उसकी उपलब्धियों में नहीं बल्कि उसकी भावना में है। झाडू का हर झटका और हर स्वच्छ कोना आने वाली पीढ़ियों के लिए गर्व और सम्मान का प्रतीक है। स्वच्छता किसी और का काम नहीं बल्कि सभी का मिशन है। हर नागरिक को इसे एक आयोजन तक सीमित न रखकर पूरे वर्ष का अनुशासन बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें हर दिन एक घंटा सामूहिक प्रयास करना चाहिए और हर व्यक्ति सफाई मित्र बनकर आगे आना चाहिए।

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