संघ के शताब्दी वर्ष के मौके पर स्मारक टिकट, सिक्का जारी करेंगे प्रधानमंत्री मोदी

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नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस सप्ताह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करेंगे। साल 1925 में विजयादशमी के दिन स्थापित आरएसएस बृहस्पतिवार को अपने 100 वर्ष पूरे कर लेगा। सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री बुधवार को संगठन के शताब्दी वर्ष समारोह की पूर्व संध्या पर आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले की उपस्थिति में स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को आरएसएस की निस्वार्थ सेवा और अनुशासन की प्रशंसा की थी और कहा था कि उसके स्वयंसेवकों के हर कार्य में ‘राष्ट्र प्रथम’ हमेशा सर्वोच्च होता है।
अपने मासिक ‘मन की बात’ संबोधन में, प्रधानमंत्री ने कहा कि आरएसएस की स्थापना केशव बलिराम हेडगेवार ने 1925 में विजयादशमी के दिन देश को बौद्धिक गुलामी से मुक्त कराने के लिए की थी और तब से इसकी यात्रा जितनी प्रेरणादायक है, उतनी ही उल्लेखनीय और अभूतपूर्व भी रही है।
स्वयं आरएसएस प्रचारक रहे मोदी ने हेडगेवार के उत्तराधिकारी एम.एस. गोलवलकर की भी प्रशंसा की और कहा कि उनका यह कथन कि ‘यह मेरा नहीं, राष्ट्र का है’ लोगों को स्वार्थ से ऊपर उठने और राष्ट्र के प्रति समर्पण को अपनाने के लिए प्रेरित करता है।
उन्होंने कहा, ‘‘गुरुजी गोलवलकर के इस कथन ने लाखों स्वयंसेवकों को त्याग और सेवा का मार्ग दिखाया है। त्याग, सेवा और इससे प्राप्त अनुशासन की यही भावना संघ की असली ताकत है। आज, आरएसएस सौ वर्षों से भी अधिक समय से राष्ट्र सेवा में अथक रूप से लगा है।’’ आरएसएस के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में देश भर में एक लाख से अधिक ‘हिंदू सम्मेलनों’ सहित कई कार्यक्रमों के आयोजन की तैयारियां जारी हैं।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को नागपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरएसएस के गीतों के एक संग्रह का विमोचन किया, जिसे उन्होंने मातृभूमि के प्रति समर्पण बताया। इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी शामिल हुए। ‘संघ गीत’ एल्बम में प्रसिद्ध गायक शंकर महादेवन द्वारा गाए गए 25 गीत शामिल हैं जिनमें से दस पर उन्होंने कार्यक्रम के दौरान प्रस्तुति दी।
गीतों की भावना की प्रशंसा करते हुए, भागवत ने कहा, ‘‘संघ गीत मातृभूमि के प्रति समर्पण और जीवन की तपस्या से उत्पन्न होते हैं। ये गीत स्वयंसेवकों के जीवंत अनुभवों से उत्पन्न होते हैं। ये गीत मातृभूमि के प्रति समर्पण की देन हैं।’’ आरएसएस के पास हर भारतीय भाषा में गीत हैं, जिनकी अनुमानित कुल संख्या 25,000 से 30,000 के बीच है। भागवत बृहस्पतिवार को नागपुर स्थित संघ मुख्यालय में अपना वार्षिक विजयादशमी संबोधन देंगे, जिसके साथ अगली विजयादशमी तक देश भर में कार्यक्रमों की एक शृंखला शुरू हो जाएगी। भागवत एक राष्ट्रव्यापी घर-घर जनसंपर्क अभियान भी शुरू करेंगे और सभी राज्यों में सामाजिक समरसता सहित विभिन्न विषयों पर हजारों संगोष्ठियां आयोजित की जाएंगी।

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