दामिनी की नायिका मीनाक्षी शेषाद्री बोलीं शालीनता और मर्यादा को कभी न समझें कमजोरी

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मुंबई{ गहरी खोज }: ‘जब मैं छोटी थी, नवरात्रि सिर्फ पूजा का समय नहीं था। हमारे घर में दक्षिण भारत की परंपरा के मुताबिक ‘कोल्लु’ सजाई जाती थी। रंग-बिरंगे फूल, दीपक और देवी के चित्र। मेरी मां इसे पूरे जोश से सजाती थीं। हम सब मिलकर गीत गाते, हंसते-नाचते और त्योहार का पूरा मजा लेते थे। यह सब करते वक्त एक अजीब सा सुकून और ताकत महसूस होती थी।’
‘शादी के बाद मैंने फिल्मों को छोड़कर अमेरिका जाने का फैसला लिया। नया देश, नया शहर, नई जिम्मेदारियां। शुरू में डर और अकेलापन तो था ही… मुझे खुद ही सब करना पड़ता था। लेकिन धीरे-धीरे मैंने महसूस किया कि जो डर बाहर दिखता है, वह मेरे भीतर की ताकत के सामने बहुत छोटा पड़ जाता है। अमेरिका में रहते हुए मैं अक्सर अपने पुराने एक्टिंग और डांसिंग के दिनों को याद करती थी। वहां अवसर कम थे, लेकिन यही अनुभव मुझे आत्मनिर्भर और मजबूत बना गया। यही बताता है कि असली शक्ति बाहर नहीं, भीतर होती है।’‘विदेश में रहना मतलब सब कुछ खुद सीखना। नए दोस्त, अलग संस्कृति और अपनी जिम्मेदारियां। धीरे-धीरे मुझे पता चला कि ताकत केवल बहादुरी या संघर्ष में नहीं, बल्कि अपने फैसलों पर भरोसा करने में छुपी होती है। हर महिला के लिए यही संदेश है कि जब आप अपने काम और निर्णयों में संतुलन बनाए रखते हैं, तो मुश्किलें भी अवसर में बदल सकती हैं।’
‘फिल्म इंडस्ट्री में संतुलन बनाए रखना आसान नहीं था। लोग अक्सर सोचते थे कि मैं गंभीर और दूसरों से दूर रहती हूं। लेकिन मैंने हमेशा कोशिश की कि काम में ईमानदारी रहे और व्यवहार में गरिमा बनी रहे। अपनी मर्यादा बनाए रखना कमजोरी नहीं, बल्कि असली शक्ति है। मैं ज्यादा पार्टियों या सोशल इवेंट्स में शामिल नहीं होती थी, लेकिन हमेशा अपने सहकर्मियों का सम्मान करती थी। यही छोटे-छोटे तरीके मुझे अपने काम में आत्मविश्वास और भरोसा देते रहे।’
‘हर महिला में शक्ति है, बस इसे महसूस करना और अपनाना जरूरी है। चुनौतियों का सामना धैर्य, गरिमा और शांति के साथ करें। नवरात्रि यही याद दिलाती है कि असली ताकत भीतर होती है और जीवन में स्थिरता बनाए रखना सबसे बड़ी सफलता है।’

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