रक्षा मंत्री ने हिंद महासागर क्षेत्र में आईसीजी के बढ़ते रणनीतिक महत्व को रेखांकित किया

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  • आईसीजी कमांडरों के सम्मेलन में स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भरता प्रमुख फोकस क्षेत्र होंगे

नई दिल्ली{ गहरी खोज }: भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) कमांडरों के 42वें सम्मेलन में सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) के बढ़ते रणनीतिक महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने समुद्र में आतंकवाद, अवैध मछली पकड़ने, तस्करी और समुद्री प्रदूषण सहित गैर-पारंपरिक खतरों का मुकाबला करने में आईसीजी की भूमिका को सराहा। रक्षा मंत्री ने खोज और बचाव (एसएआर) अभियानों में आईसीजी की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।
तटरक्षक मुख्यालय में रविवार को शुरू हुआ आईसीजी कमांडरों का सम्मेलन 30 सितंबर तक चलेगा। तीन दिनों के इस वार्षिक सम्मेलन में आईसीजी का वरिष्ठ नेतृत्व उभरती भू-राजनीतिक गतिशीलता और समुद्री सुरक्षा चुनौतियों के बीच रणनीतिक, परिचालनात्मक और प्रशासनिक अनिवार्यताओं पर विचार-विमर्श कर रहा है। सम्मेलन के दूसरे दिन आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आईसीजी के महानिदेशक परमेश शिवमणि और अन्य वरिष्ठ कमांडरों के साथ सम्मेलन को संबोधित किया। अपने मुख्य भाषण में रक्षा मंत्री ने वैश्विक व्यापार, ऊर्जा प्रवाह और भू-राजनीतिक जुड़ाव के लिए एक महत्वपूर्ण गलियारे के रूप में हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) के बढ़ते रणनीतिक महत्व को रेखांकित किया।
रक्षा मंत्री ने 1977 में अपनी स्थापना के बाद से आईसीजी के विकास की सराहना की, जिसमें 152 जहाजों और 78 विमानों वाली एक दुर्जेय समुद्री सेना शामिल है। उन्होंने कहा कि तटरक्षक बल के जवान अपने आदर्श वाक्य ‘वयं रक्षामः’-हम रक्षा करते हैं, को साकार करते हैं। उन्होंने आईसीजी की अटूट व्यावसायिकता और समुद्री गश्त तथा तटीय निगरानी नेटवर्क (सीएसएन) की तैनाती के माध्यम से तटीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका की प्रशंसा की। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुद्री मोर्चे पर विदेशी मछली पकड़ने की घुसपैठ को रोकने में आईसीजी की सफलता पर प्रकाश डाला। अपनी स्थापना के बाद से आईसीजी ने भारतीय जल क्षेत्र में अवैध गतिविधियों के लिए 1,638 विदेशी जहाजों और 13,775 विदेशी मछुआरों को पकड़ा है।
रक्षा मंत्री ने समुद्री कानून प्रवर्तन में तटरक्षक बल की प्रभावशाली उपलब्धियों की भी सराहना की और 37,833 करोड़ रुपये मूल्य के 6,430 किलोग्राम से अधिक नशीले पदार्थों की जब्ती का उल्लेख किया। ये आंकड़े अंतरराष्ट्रीय समुद्री अपराधों का मुकाबला करने में बल की बढ़ती प्रभावशीलता को दर्शाते हैं। उन्होंने खोज और बचाव अभियानों में आईसीजी की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया, क्योंकि इस वर्ष जुलाई तक आईसीजी ने 76 खोज और बचाव अभियान चलाए थे। मिशनों में 74 लोगों की जान बचाई गई। आज तक आईसीजी ने विभिन्न आपदा प्रतिक्रिया प्रयासों के माध्यम से 14,500 से अधिक लोगों को बचाया है।
रक्षा मंत्री ने एमवी वान हाई 503 में आग लगने और एमवी एमएससी ईएलएसए-3 के डूबने सहित उच्च जोखिम वाली घटनाओं के दौरान आईसीजी की त्वरित और निर्णायक कार्रवाई की भी सराहना की, जिसने बल की परिचालन तत्परता और पर्यावरण संरक्षण क्षमताओं को प्रदर्शित किया। एक प्रमुख समुद्री शक्ति के रूप में भारत के उभरने की पुष्टि करते हुए उन्होंने आतंकवाद, अवैध मछली पकड़ने, तस्करी और समुद्री प्रदूषण सहित गैर-पारंपरिक खतरों का मुकाबला करने में आईसीजी की बढ़ती भूमिका को रेखांकित किया।
महानिदेशक परमेश शिवमणि ने आईसीजी की हालिया प्रगति, परिचालन चुनौतियों और रणनीतिक दृष्टि का व्यापक अवलोकन प्रस्तुत किया। तीन दिवसीय कार्यक्रम में नौसेना प्रमुख और इंजीनियर-इन-चीफ सहित प्रमुख हितधारकों के साथ उच्च स्तरीय विचार-विमर्श होगा। इस दौरान विभिन्न एजेंडा पर चर्चाएं होंगी, जिनमें परिचालन प्रदर्शन, रसद, मानव संसाधन विकास, प्रशिक्षण और प्रशासन शामिल हैं। इनमें स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भरता प्रमुख फोकस क्षेत्र होंगे, जिसमें सरकार के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत हुई प्रगति की समीक्षा की जाएगी।

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