नवरात्रि की अष्टमी-नवमी को कन्या पूजन कैसे करें? यहां जानिए पूरी विधि स्टेप बाय स्टेप

धर्म { गहरी खोज } : नवरात्रि में कन्या पूजन करना जरूरी माना गया है। इसलिए ही श्रद्धालु नवरात्रि की अष्टमी या नवमी को कन्या पूजन जरूर करते हैं। इसे कंजक पूजन के नाम से भी जाना जाता है। इस पूजन में 2 से 10 साल तक की कन्याओं को घर पर बुलाकर उनकी पूजा की जाती है और उन्हें श्रद्धा भाव के साथ भोजन कराया जाता है। कन्या पूजन में छोटी लड़कियों को मां दुर्गा का स्वरूप मानकर पूजा जाता है। चलिए आपको बताते हैं कन्या पूजन कैसे करते हैं और इसकी विधि क्या है।
नवरात्रि कन्या पूजन सामग्री लिस्ट
साफ जल – कन्याओं का पैर धुलने के लिए
आसन – कन्याओं को बिठाने के लिए
रोली – कन्याओं को तिलक लगाने के लिए
साफ कपड़ा – कन्याओं के पैर पोछने के लिए
कलावा – कन्याओं के हाथ में बांधने के लिए
चुन्नी – कन्याओं को देने के लिए
फल – कन्याओं को खिलाने के लिए
अक्षत – कन्याओं के माथे पर तिलक के साथ लगाने के लिए
फूल – कन्याओं की पूजा के लिए
हलवा, पूरी और चना – कन्याओं को खिलाने का मुख्य भोजन
कन्या पूजन मुहूर्त 2025
कन्या पूजन अष्टमी और नवमी किसी भी दिन किया जा सकता है। कन्या पूजन के लिए कोई निश्चित समय नहीं होता। आप माता रानी की पूजा और हवन के बाद कन्याओं को भोजन करा सकते हैं।
कन्या पूजन की विधि
- कन्या पूजन के लिए कन्याओं को निमंत्रण भेजें।
- जिस स्थान पर कन्या पूजन करना है उस स्थान को शुद्ध कर लें।
- फिर उस स्थान पर साफ आसन लगाएं।
- कन्या पूजन से पहले माता की विधि विधान पूजा करें।
- हवन करें और माता को प्रसाद अर्पित करें।
- जब कन्याएं घर आ जाएं तो सबसे पहले उनके पैर धोएं।
- फिर उन्हें आसन पर बैठाएं।
- कन्याओं के माथे पर कुमकुम और अक्षत का तिलक लगाएं।
- उनके हाथ में कलावा बांधें और उनकी आरती उतारें।
- फिर उन्हें हलवा, पूरी और चना का भोग लगाएं।
- कन्याएं जब भोजन कर लें तो उन्हें कुछ न कुछ उपहार जरूर दें।
- अंत में कन्याओं के साथ मां के जयकारे लगाएं।
- इसके बाद उनके पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करें।
कन्या पूजन का महत्व
कहते हैं कन्या पूजन करने से देवी अंबे की विशेष कृपा प्राप्त होती है। कन्या पूजन करने से नवरात्रि व्रत पूजन का संपूर्ण फल प्राप्त हो जाता है।
कन्या पूजन कितनी उम्र की लड़कियों का करना चाहिए?
शास्त्रों अनुसार कन्या पूजन 2 से लेकर 10 साल तक की कन्याओं का करना चाहिए। साथ ही इस पूजन में एक बालक को भी जरूर शामिल करना चाहिए जो बटुक भैरव का स्वरूप माना जाता है।