देवी दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की आरती, मंत्र और भोग

धर्म { गहरी खोज } : माता महागौरी की पूजा नवरात्रि के आठवें दिन की जाती है। कहते हैं इस दिन जो भी भक्त सच्चे मन से माता की उपासना करता है उसकी सारी मुरादें पूरी हो जाती हैं। धार्मिक मान्यताओं अनुसार जब देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी तो उनका रंग काला पड़ गया था। माता के तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्हें गंगा के पवित्र जल से स्नान कराया। जिसके बाद माता का रंग बहुत गोरा हो गया और वे महागौरी कहलाईं।
मां महागौरी की आरती
जय महागौरी जगत की माया। जय उमा भवानी जय महामाया॥
हरिद्वार कनखल के पासा। महागौरी तेरा वहा निवास॥
चन्द्रकली और ममता अम्बे। जय शक्ति जय जय माँ जगदम्बे॥
भीमा देवी विमला माता। कौशिक देवी जग विख्यता॥
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा। महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती (सत) हवन कुंड में था जलाया। उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया। तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी माँ ने महागौरी नाम पाया। शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता। माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो। महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥
मां महागौरी मंत्र
- ॐ देवी महागौर्यै नमः॥
- श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
- या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां महागौरी का भोग
मां महागौरी को नारियल, पूड़ी, चना और हलवे का भोग अति प्रिय है।