क्या आरबीआई फिर से घटाएगा रेपो रेट? एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया- ‘ब्याज दर में कटौती सबसे बेस्ट ऑप्शन’

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नयी दिल्ली { गहरी खोज } : भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की एक रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती रिजर्व बैंक के लिए ‘सर्वोत्तम संभावित विकल्प’ है। हालांकि ,कुछ अन्य विशेषज्ञों का मानना ​​है कि केंद्रीय बैंक का ब्याज दर निर्धारण पैनल 1 अक्टूबर को घोषित होने वाली अपनी द्विमासिक नीति में फिर से यथास्थिति बनाए रख सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​की अध्यक्षता मॉनिटरी पॉलिसी (MPC) सोमवार को मौजूदा जियो-पॉलिटिकल टेंशन और अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 50 फीसदी शुल्क लगाए जाने बैकग्राउंड में नीतिगत दरों पर तीन दिवसीय विचार-विमर्श शुरू करने वाली है।
बैठक में लिए गए फैसलों की घोषणा 1 अक्टूबर (बुधवार) को की जाएगी। कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) बेस्ड महंगाई दर में गिरावट के बीच, आरबीआई ने फरवरी से शुरू होकर तीन चरणों में प्रमुख शॉर्ट टर्म उधार दर (रेपो) में 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने अगस्त की मॉनिटरी पॉलिसी में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया था। घरेलू अर्थव्यवस्था पर अमेरिकी टैरिफ और अन्य जियो-पॉलिटिकल घटनाक्रमों के प्रभाव का आकलन करने के लिए प्रतीक्षा और निगरानी का रुख अपनाया।
एसबीआई के रिसर्च में कहा गया है कि आगामी मॉनिटरी पॉलिसी में आरबीआई द्वारा प्रमुख बेंचमार्क उधार दर में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती करना उचित और तर्कसंगत है, क्योंकि अगले वित्तीय वर्ष में भी खुदरा महंगाई दर के नरम बने रहने की उम्मीद है।
वहीं, बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘हमारा मानना ​​है कि इस नीति में रेपो दर में किसी भी बदलाव की गुंजाइश सीमित है, लेकिन बाजार का मानना ​​है कि मौजूदा माहौल को देखते हुए दर में कटौती जरूरी होगी।’
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘जीएसटी को तर्कसंगत बनाने से मुद्रास्फीति में निश्चित रूप से कमी आएगी। हालांकि, यह एक नीतिगत बदलाव का परिणाम है और इसके साथ ही मांग में भी वृद्धि होने की संभावना है। इससे अक्टूबर 2025 की नीति समीक्षा में रेपो दर की यथास्थिति का संकेत मिलता है। क्रिसिल लिमिटेड के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि अपेक्षा से कम महंगाई दर के कारण अक्टूबर तक रेपो दर में कटौती हो सकती है।’

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