राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के पूरे हुए 100 साल, साल भर चलने वाला शताब्दी समारोह शुरू

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नागपुर{ गहरी खोज }: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्थापना के 100 वर्ष शनिवार को पूरे हो गये। डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने 17 सहयोगियों के साथ मिलकर 27 सितंबर, 1925 को विजयादशमी के पावन अवसर पर संघ की स्थापना की थी।
संघ अब देशभर में 83,000 से अधिक शाखाओं और लाखों स्वयंसेवकों के साथ देश के सबसे बड़े सांस्कृतिक निकाय के रूप में विकसित हो चुका है।
आरएसएस की उत्पत्ति नागपुर के महल स्थित हेडगेवार वाड़ा से मानी जाती है। डॉ. हेडगेवार ने हिंदुओं में एकता, अनुशासन और चरित्र निर्माण को बढ़ावा देने के लिए इस संगठन की कल्पना की थी।
वर्ष 1926 में विचार-विमर्श के बाद जरीपटका मंडल और भारतोद्धारक मंडल जैसे विकल्पों को हराकर मतदान के माध्यम से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नाम को अंतिम रूप दिया गया।
नागपुर के बाहर पहली शाखा फरवरी 1926 में वर्धा में स्थापित की गई, जिसने पूरे देश में क्रमिक विस्तार का मार्ग प्रशस्त किया। व्यक्ति-आधारित नेतृत्व से बचने के लिए, भगवा ध्वज को संघ का ‘गुरु’ मान लिया गया और 1927 में गुरु दक्षिणा देने की प्रथा शुरू हुई।
डॉ. हेडगेवार (1929 में प्रथम सरसंघचालक बने) पहले कांग्रेस से जुड़े थे और उन्होंने असहयोग और जंगल सत्याग्रह आंदोलनों में भाग लिया था और जेल भी गये थे। उनकी दृष्टि शारीरिक प्रशिक्षण, अनुशासन, सेवा और राष्ट्रीय चरित्र निर्माण पर ज़ोर देती थी। आरएसएस अपनी स्थापना के 100 साल पूरा होने पर एक साल तक विभिन्न तरह के कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है।

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