शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र के मंच पर फिर ‘बेतुकी नौटकी’ की आतंकवाद का महिमा मंडन किया: भारत

संयुक्त राष्ट्र { गहरी खोज } :भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के भाषण को ‘बेतुकी नाटंकी’ बताते हुए शनिवार को कहा कि पड़ोसी मुल्क ने एक बार फिर आतंकवाद का महिमामंडन किया है जो उसकी विदेश नीति का मुख्य हथियार बन चुका है।
आपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी सेनाओं की बहादुरी और भारत को क्षति पहुंचाने की श्री शरीफ के दावों का उपहास करते हुए भारत ने कहा, “अगर नष्ट हुए रनवे और जले हुए हैंगर जीत की तरह लगते हैं, जैसा कि प्रधानमंत्री ने दावा किया है, तो पाकिस्तान इसका आनंद ले सकता है।”
संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के भाषण का प्रत्युत्तर देने के अधिकार का प्रयोग करते हुए भारतीय राजनयिक पेटल गहलोत ने सभा के अध्यक्ष को संबोधित तीखे जवाब में कहा, “इस सभा में सुबह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की बेतुकी नौटंकी देखने को मिली, जिन्होंने एक बार फिर आतंकवाद का महिमामंडन किया, जो उनकी विदेश नीति का केंद्र बिंदु है।” सुश्री गहलोत ने कहा कि पाकिस्तान अगर सचमुच ईमानदार है तो वह आतंकवाद का निर्यात और आतंकवादियों को पनाह देना बंद करे और वांछित आतंकवादियों को भारत को सौंपे।
सुश्री गहलौत ने कहा कि धार्मिक उन्माद और कट्टर सोच वाले पाकिस्तान के मुंह से भारत के हिंदुत्व पर कुछ कहना कदापि शोभा नहीं देता। उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने को संकल्पबद्ध है और वह अपनी कार्रवाई में आंतकवादियों और उनको पालने पोशने वालों में कोई फर्क नहीं करेगा और न ही परमाणु बम की धमकी में आएगा।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान किसी स्तर पर भी नाटक ओर झूठ का सहारा लेकर सच्चाई को छुपा नहीं सकता। यह वही पाकिस्तान है जिसने गत 25 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में, जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों के बर्बर नरसंहार की ज़िम्मेदारी से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ को बचाया था।” उन्होंने कहा कि आतंकवाद को शह देने और प्रयोजित करने की परंपरा में आकंठ डूबे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को पहलगाम आतंकवादी हमले पर अपने मंसूबों को पूरा करने के लिए “सबसे हास्यास्पद आख्यान गढ़ने में कोई शर्म नहीं आती।”
सुश्री गहलोत ने कहा कि एक तरफ तो पाकिस्तान दुनिया से कहता रहा कि वह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग दे रहा है दूसरी तरफ उसने एक दशक तक ओसामा बिन लादेन को पनाह देता रहा। भारतीय राजनयिक ने कहा, “पाकिस्तान के मंत्रियों ने हाल ही में स्वीकार किया है कि वे दशकों से आतंकवादी शिविर चला रहे हैं। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि एक बार फिर, यह दोहरा मपदंड जारी है, इस बार उसके प्रधानमंत्री के स्तर पर।”
मई में सैन्य संघर्ष में पाकिस्तान की जीत के बारे में श्री शरीफ के बड़बोलेपन के जवाब में भारतीय राजनयिक ने कहा, “एक तस्वीर हज़ार शब्द बयां करती है और हमने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बहावलपुर और मुरीद के आतंकी ठिकानों में भारतीय सेना द्वारा मारे गए आतंकवादियों की कई तस्वीरें देखीं। जब वरिष्ठ पाकिस्तानी सैन्य और असैन्य अधिकारी सार्वजनिक रूप से ऐसे कुख्यात आतंकवादियों का महिमामंडन और श्रद्धांजलि देते हैं, तो क्या इस शासन की प्रवृत्ति पर कोई संदेह हो सकता है?”
आपरेशन सिंदूर पर प्रधानमंत्री शरीफ के वक्तव्य को विचित्र विवरण बताते हुए सुश्री गहलोत ने कहा, “इस मामले में रिकॉर्ड स्पष्ट है। नौ मई तक, पाकिस्तान भारत पर और हमले करने की धमकी दे रहा था। लेकिन 10 मई को उसकी सेना ने हमसे सीधे लड़ाई बंद करने की गुहार लगाई। बीच की घटना भारतीय सेना द्वारा कई पाकिस्तानी हवाई अड्डों को नष्ट करना था। उस नुकसान की तस्वीरें, ज़ाहिर है, सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं। अगर नष्ट हुए रनवे और जले हुए हैंगर जीत की तरह लगते हैं, जैसा कि प्रधानमंत्री ने दावा किया है, तो पाकिस्तान इसका आनंद ले सकता है।”
उन्होंने कहा, “सच्चाई यह है कि अतीत की तरह, पाकिस्तान भारत में निर्दोष नागरिकों पर हुए आतंकवादी हमले के लिए ज़िम्मेदार है। हमने ऐसी कार्रवाइयों के ख़िलाफ़ अपने लोगों की रक्षा करने के अधिकार का प्रयोग किया है और आयोजकों और अपराधियों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया है।’
उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भारत के साथ शांति की अपनी “बात को लेकर सचमुच ईमानदार हैं, तो रास्ता साफ़ है। पाकिस्तान को तुरंत सभी आतंकवादी शिविरों को बंद करना चाहिए और भारत में वांछित आतंकवादियों को हमें सौंप देना चाहिए।”
सुश्री गहलोत ने कहा, “यह भी विडंबना है कि एक ऐसा देश जो नफ़रत, कट्टरता और असहिष्णुता में डूबा हुआ है, इस सभा को आस्था के मामलों पर उपदेश दे रहा है। पाकिस्तान का राजनीतिक और सार्वजनिक विमर्श उसके असली स्वरूप को दर्शाता है। स्पष्ट रूप से, उन्हें आईने में देखने की बहुत देर हो चुकी है।’
भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत में किसी तीसरे पक्ष की भूमिका को स्वीकार न करने की भारत की स्पष्ट नीति को रेखांकित करते हुए भारतीय राजनयिक ने कहा, “भारत और पाकिस्तान लंबे समय से इस बात पर सहमत हैं कि उनके बीच किसी भी लंबित मुद्दे को द्विपक्षीय रूप से सुलझाया जाएगा। इस संबंध में किसी तीसरे पक्ष के लिए कोई जगह नहीं है। यह हमारा दीर्घकालिक राष्ट्रीय मत है।”
सुश्री गहलोत ने कहा, “जहां तक आतंकवाद का सवाल है, हम स्पष्ट कर रहे हैं कि आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों के बीच कोई भेद नहीं किया जाएगा। दोनों को जवाबदेह ठहराया जाएगा। न ही हम परमाणु ब्लैकमेल की आड़ में आतंकवाद को बढ़ावा देने की अनुमति देंगे। भारत ऐसी धमकियों के आगे कभी नहीं झुकेगा। दुनिया के लिए भारत का संदेश स्पष्ट है कि आतंकवाद के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस होना चाहिए।”