पापांकुशा एकादशी पर तुलसी के जुड़े उपाय और नियम, श्री हरि की कृपा पानी है को भूल से भी न करें ये गलती

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धर्म { गहरी खोज } :हर महीने की में दो बार एकादशी का व्रत किया जाता है। हिंदू धर्म ग्रंथों में एकादशी तिथि का बहुत महत्व बताया गया है। भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए यह तिथि बेहद उत्तम बताई गई है। ऐसा कहा जाता है कि एकादशी का व्रत रखने वाले साधकों पर प्रभु श्री हरि विशेष कृपा बनाए रखते हैं।

पापांकुशा एकादशी व्रत
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को पापांकुशा एकादशी भी कहा जाता है। यह तिथि विजयादशमी के अगले दिन मनाई जाती है। इस बार 3 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी व्रत किया जाएगा। इस दिन तुलसी से जुड़े कुछ खास उपाय से आप श्री नारायण की कृपा पा सकते हैं। जानिए तुलसी के कौन से उपाय आपके लिए लाभकारी होंगे।

कब से कब तक रहेगी एकादशी तिथि?
इस महीने की शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि की शुरुआत 2 अक्टूबर 2025 को 7 बजकर 13 मिनट से होगी और समाप्ति 3 अक्टूबर 6 बजकर 35 मिनट पर होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, एकादशी व्रत 3 अक्टूबर 2025 को रखा जाएगा।

एकादशी पूजा करने की सही विधि
अगर आप लक्ष्मीपति श्री नारायण की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो यह उपाय जरूर करें। इसके लिए एकादशी के दिन सूर्यास्त के बाद तुलसी जी के पास घी का दीपक लगाएं।
इसके साथ ही हाथ जोड़कर 7 या 11 परिक्रमा करें। माना जाता है कि तुलसी जी के पास दिया जलाने से नकारात्मक शक्तियों से छुटकारा मिलता है।
तुलसी जी को विष्णुप्रिया भी कहा गया है। ऐसे में तुलसी पत्र के बिना विष्णु जी का भोग अधूरा माना जाता है। अगर आप अपनी मनोकामना की पूर्ति चाहते हैं, तो एकादशी की पूजा के भोग में तुलसी दल जरूर रखें।

इन मंत्रों का करें जप:

महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।

तुलसी गायत्री मंत्र:

ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात् ।।

तुलसी स्तुति मंत्र:

देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

तुलसी नामाष्टक मंत्र:

वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।

गलती से भी न करें ये गलती

एकादशी के दिन तुलसी में जल अर्पित नहीं करना चाहिए।
इस दिन तुलसी पत्र तोड़ना भी अशुभ माना जाता है।
भोग में तुलसी दल शामिल करने के लिए एक दिन पहले ही तुलसी की पत्तियां तोड़कर रख लें।
अगर आप पत्ते एक दिन पहले तोड़कर रखना भूल जाते हैं, तो एकादशी के दिन गमले में गिरे हुए तुलसी के पत्तों का उपयोग कर सकते हैं।

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