ॐ जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी, शनि देव की आरती के लिरिक्स

धर्म { गहरी खोज } :कहते हैं जो कोई भी सच्चे मन से शनि देव की पूजा-अर्चना करता है उसके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। शनि की पूजा के लिए शनिवार का दिन सबसे शुभ माना गया है। अगर आप भी शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो शनिवार के दिन शनि की आरती जरूर करें। मान्यताओं अनुसार शनि की आरती करने से शनि साढ़े साती और शनि ढैय्या का बुरा प्रभाव भी कम हो जाता है। साथ ही कार्यों में सफलता मिलने लगती है। चलिए आपको बताते हैं शनि आरती के लिरिक्स।
शनि देव की आरती
!! जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी,
सूर्य के पुत्र प्रभु छाया महतारी,
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी !!
!! श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी,
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी,
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी !!
!! क्रीत मुकुट शीश रजित दीपत है लिलारी,
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी,
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी !!
!! मोदक मिष्ठान पान चढ़ात है सुपारी,
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी,
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी !!
!! दे दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी,
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी !!
जय शनि देवा आरती
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा ।
अखिल सृष्टि में कोटि-कोटि जन,
करें तुम्हारी सेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा ॥
जा पर कुपित होउ तुम स्वामी,
घोर कष्ट वह पावे ।
धन वैभव और मान-कीर्ति,
सब पलभर में मिट जावे ।
राजा नल को लगी शनि दशा,
राजपाट हर लेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा ॥
जा पर प्रसन्न होउ तुम स्वामी,
सकल सिद्धि वह पावे ।
तुम्हारी कृपा रहे तो,
उसको जग में कौन सतावे ।
ताँबा, तेल और तिल से जो,
करें भक्तजन सेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा ॥
हर शनिवार तुम्हारी,
जय-जय कार जगत में होवे ।
कलियुग में शनिदेव महात्तम,
दु:ख दरिद्रता धोवे ।
करू आरती भक्ति भाव से,
भेंट चढ़ाऊं मेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा ॥
शनिदेव के मंत्र
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
ॐ ऐं शनैश्चराय अप्रमेय शक्तिवते नमः।
ॐ काकादिपाय विद्यामहे सौरपुत्राय धीमहि, तन्नो मन्दः प्रचोदयात्।