रूस के उप प्रधानमंत्री के साथ शिवराज सिंह की बैठक, तकनीकी साझेदारी और मजबूत करने पर हुई चर्चा

0
c6e0b97fd0db9242c24c5f5dd43eb6b6

नई दिल्ली { गहरी खोज }: रूस के उप प्रधानमंत्री दिमित्री पेत्रुशेव एवं उनके प्रतिनिधिमंडल के साथ केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान की शुक्रवार को कृषि भवन में उच्चस्तरीय बैठक हुई। बैठक के बाद शिवराज सिंह ने कहा कि ये मुलाकात सौहार्दपूर्ण व उपयोगी रही है। जिसमें कृषि एवं खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में आपसी सहयोग, द्विपक्षीय व्यापार संतुलित करने, तकनीकी साझेदारी और मजबूत करने पर व्यापक चर्चा हुई।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि रूस के समर्थन व सहयोग से व्यापार और लंबित मुद्दों का निश्चित तौर पर समाधान निकलेगा, जिसका लाभ हमारे किसानों, उपभोक्ताओं एवं दोनों देशों के नागरिकों को मिलेगा। रूस और भारत की मित्रता शांति व स्थिरता के लिए भी आवश्यक है। हम अपने राष्ट्रहितों का संरक्षण करते हुए रूस के साथ और बेहतर कृषि व्यापार हो, नवाचार हो, खाद्य सुरक्षा के लिए हम साथ मिलकर काम करें, शिक्षा के क्षेत्र में काम करें, यह हमारी मंशा है। इन मुद्दों पर सकारात्मक चर्चा हुई है।
केंद्रीय मंत्री चौहान ने बताया कि भारत के बहुत से उत्पादों की रूस के बाजारों तक पहुंच हो सकती है, परंतु फाइटोसैनिटरी मानक और नॉन-टैरिफ बाधाओं के कारण उनके निर्यात में बाधाएं आ रही हैं। चौहान ने रूस के उप प्रधानमंत्री को बताया कि भारत में खेतों के आकार काफ़ी छोटे हैं और छोटे किसान कभी-कभी ऐसे मानकों का पूरा पालन कर पाने में सक्षम नहीं हो पाते, इसलिए इन बाधाओं का मिलकर समाधान निकालने की आवश्यकता है। शिवराज सिंह ने विश्वास जताया कि फाइटोसैनिटरी मानक और नॉन-टैरिफ बाधाओं से जुड़े जो मामले हैं, उनका जल्द समाधान होगा। हमने शोध एवं नवाचार पर भी व्यापक चर्चा की है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और उनके संस्थान के बीच व्यापक सहयोग पर चर्चा जारी है, ताकि विज्ञान व तकनीकी का आदान-प्रदान हम लोग आपस में कर सकें।
शिवराज सिंह ने बताया कि हमने ये भी चर्चा की है कि हमारे विद्यार्थी रूस अध्ययन करने जाएं और रूस के विद्यार्थी, विशेषकर कृषि क्षेत्र में हमारे संस्थानों में पढ़ने आएं। चाहे हमारी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हो या हमारे कृषि कॉलेज, इस पर भी व्यापक सहमति बनी है। शिवराज सिंह ने कहा कि छात्रों का और अकादमिक आदान-प्रदान केवल शिक्षा का नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक आदान-प्रदान होगा। उन्होंने बताया कि इसके साथ बीज ट्रेसेबिलिटी प्रणाली और कृषि आधारित समाधानों पर भी सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हुई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *