दिल्ली उच्च न्यायालय ने वेब सीरीज के खिलाफ याचिका को लेकर समीर वानखेड़े से सवाल किया

0
zaswe34ewds

नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारी एवं स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) के पूर्व जोनल निदेशक समीर वानखेड़े से शुक्रवार को सवाल किया कि अभिनेता शाहरुख खान और उनकी पत्नी गौरी खान के स्वामित्व वाली ‘रेड चिलीज एंटरटेनमेंट’ और ‘नेटफ्लिक्स’ के खिलाफ मानहानि याचिका कैसे विचारणीय है।
वानखेड़े ने इन कंपनियों पर वेब सीरीज ‘द बैड्स ऑफ बॉलीवुड’ के जरिये उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने का आरोप लगाया है। न्यायमूर्ति पुरुषेन्द्र कुमार कौरव ने वानखेड़े के वकील से पूछा कि दिल्ली में यह याचिका कैसे विचारणीय है। अदालत ने कहा, ‘‘आपकी याचिका दिल्ली में विचारणीय नहीं है। यदि आपका मामला यह होता कि दिल्ली समेत विभिन्न स्थानों पर आपकी मानहानि हुई है और सबसे अधिक नुकसान दिल्ली में हुआ है, तो भी हम इस मामले पर दिल्ली में ही विचार करते।’’ वानखेड़े का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप सेठी ने कहा कि वेब सीरीज दिल्ली समेत विभिन्न शहरों में प्रसारित की जा रही है और इसमें अधिकारी को बदनाम किया गया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि वह याचिका में तदनुसार संशोधन करेंगे।
अदालत ने उन्हें संशोधित याचिका दायर करने के लिए समय दिया, जिसके बाद वह मामले की सुनवाई करेगी। अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख नहीं बताई और कहा कि आवेदन दायर होने के बाद इसे रजिस्ट्री द्वारा सूचीबद्ध किया जायेगा। वानखेड़े ने आरोप लगाया है कि नेटफ्लिक्स पर प्रसारित एक वेब सीरीज में उन्हें लेकर झूठे, अपमानजनक और मानहानि वाले तथ्य दिखाए गए हैं। उन्होंने अदालत से सीरीज पर स्थायी और अनिवार्य निषेधाज्ञा लगाने के अलावा ‘रेड चिलीज एंटरटेनमेंट’, नेटफ्लिक्स समेत अन्य को उन्हें मुआवजा देने का आदेश दिए जाने का अनुरोध किया है।
‘रेड चिलीज एंटरटेनमेंट’ का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने और नेटफ्लिक्स का मुकुल रोहतगी ने किया। वानखेड़े ने क्षतिपूर्ति के रूप में दो करोड़ रुपये की मांग की है और उन्होंने इस रकम को कैंसर रोगियों की मदद के लिए टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल को दान करने की इच्छा जताई है। याचिका में कहा गया है, ‘‘यह सीरीज मादक पदार्थ-निरोधक प्रवर्तन एजेंसियों का भ्रामक और नकारात्मक चित्रण करती है, जिससे कानून प्रवर्तन संस्थानों में जनता का विश्वास खत्म होता है।’’
इसमें कहा गया है कि सीरीज को जानबूझकर वानखेड़े की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के इरादे से तैयार किया गया है, खासकर यह सीरीज ऐसे समय में बनी है जब याचिकाकर्ता और शाहरुख खान के बेटे आर्यन से जुड़ा मामला मुंबई उच्च न्यायालय तथा स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) से संबंधित विशेष अदालत के समक्ष विचाराधीन है।
याचिका में दावा किया गया है कि सीरीज में एक पात्र को खासकर ‘सत्यमेव जयते’ का नारा बोलने के बाद अपने हाथ की बीच वाली उंगली दिखा कर अश्लील इशारे करते हुए दिखाया गया है, जबकि ‘सत्यमेव जयते’ स्पष्ट रूप से राष्ट्रीय प्रतीक का हिस्सा है।
इसमें कहा गया है कि यह कृत्य राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के प्रावधानों का गंभीर और संवेदनशील उल्लंघन है, जिसके लिए कानून के तहत दंड के प्रावधान किये गये हैं। याचिका में कहा गया है कि सीरीज में अश्लील और आपत्तिजनक विषय-वस्तु के उपयोग से राष्ट्रीय भावनाओं को आहत करने का प्रयास किया गया है तथा यह सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम एवं भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन करती है। मुकदमे में प्रतिवादियों के रूप में रेड चिलीज एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड, नेटफ्लिक्स, एक्स (पूर्व में ट्विटर), गूगल एलएलसी, मेटा प्लेटफॉर्म और आरपीजी लाइफस्टाइल मीडिया प्राइवेट लिमिटेड को नामित किया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *