अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का बाल हठ

संपादकीय { गहरी खोज }: एक बच्चा जैसे किसी चीज को पाने के लिए हठ कर लेता है, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नोबेल पुरस्कार लेने के लिए आज बाल हठ वाली स्थिति में हैं। गत शनिवार को ‘अमेरिकन कार्नरस्टोन इंस्टिट्यूट फाउंडर्स डिनर’ के वार्षिक कार्यक्रम में ट्रंप ने कहा कि वैश्विक मंच पर हम एक बार फिर ऐसे काम कर रहे हैं जिससे हमें उस स्तर का सम्मान मिल रहा है जो पहले कभी नहीं मिला। हम शांति समझौते करा रहे हैं और युद्ध रोक रहे हैं। हमने भारत-पाकिस्तान और थाईलैंड-कंबोडिया के बीच युद्ध को रोका है। भारत और पाकिस्तान के बारे में सोचिए, आप जानते हैं कि मैंने इसे कैसे रोका – व्यापार के जरिए। वे व्यापार करना चाहते हैं और मैं दोनों नेताओं का बहुत सम्मान करता हूं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने दावा किया कि जरा देखिए भारत-पाकिस्तान, थाईलैंड-कंबोडिया, आर्मेनिया-अजरबैजान, कोसोवो सर्बिया, इजराइल-ईरान, मिस्र-इथियोपिया, रवांडा-कांगो हमने इन देशों के बीच के संघर्ष को रोक दिया और इनमें से 60 फीसद को व्यापार के कारण ही रोका जा सका। मैंने भारत से कहा था कि देखिए आप दोनों के पास परमाणु हथियार हैं। यदि आप युद्ध की शुरुआत करते हैं तो हम आपके साथ कोई व्यापार नहीं करेंगे। मेरे इतना कहने पर वे रुक गए।
गौरतलब है कि भारत ने पाकिस्तान की मांग के बाद ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ को स्थगित किया था। यह बात अब पाकिस्तान भी सार्वजनिक रूप से मान चुका है। पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री इशाक डार ने पिछले दिनों एक टी.वी. इंटरव्यू में स्वीकार किया था कि भारत ने इस मामले में किसी तीसरे देश की मध्यस्थता को स्वीकार करने से मना किया था। भारत की कश्मीर प्रति नीति स्पष्ट है कि यह दोनों देशों का आपसी मामला है। पाकिस्तान अवश्य समय-समय पर तीसरे देश की सहायता से कश्मीर मुद्दे को सुलझाने का प्रयास करता रहता है लेकिन भारत अपने स्टैंड पर अटल खड़ा है। यही कारण है कि ट्रंप के दर्जनों बार दावे करने कि ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ उसने रुकवाया है। भारत ने उसके दावे को एक बार नहीं अनेक बार यह कहकर खारिज किया कि संघर्ष विराम दोनों देशों के सेना के उच्चाधिकारियों की बैठक में पाकिस्तान की मांग पर स्थगित हुआ है, इसमें किसी तीसरे देश की भूमिका नहीं है।
भारत द्वारा स्थिति स्पष्ट करने के बावजूद भी ट्रंप ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ को स्थगित कराने का श्रेय स्वयं को देने की कोशिश करते चले जा रहे हैं, क्योंकि उनकी नजर नोबेल पुरस्कार पर टिकी है। बालक जैसे खाने की वस्तु या खेलने के सामान या कपड़े लेने की जिद्द कर लेते हैं, ठीक उसी तरह अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नोबेल पुरस्कार लेने की जिद्द किए बैठे हैं। प्रश्न यह है कि मांग कर लिए नोबेल पुरस्कार का महत्व क्या होगा, इस पर ट्रंप सहित अमेरिकावासियों को सोचने की आवश्यकता है।