पहाड़गंज में ई-रिक्शा की लापरवाही ने ले ली छात्रा की जान

नई दिल्ली{ गहरी खोज }: पहाड़गंज इलाके में एक ई-रिक्शा चालक ने लाल बत्ती तोड़ने की कोशिश की और उसी लापरवाही के चलते वाहन पलट गया। हादसा इतना भयावह था कि 12वीं कक्षा की छात्रा राधिका सोलंकी की मौके पर ही मौत हो गई। वहीं, उसकी दो सहेलियां और रिक्शा में बैठे मोहम्मद जाहिद नामक यात्री गंभीर रूप से घायल हो गए। आसपास मौजूद लोगों ने तत्काल घायलों को अस्पताल पहुंचाया और आरोपी चालक को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सोमवार सुबह करीब साढ़े 7 बजे 3 छात्राएं स्कूल जा रही थीं। उनके साथ मोहम्मद जाहिद भी ई-रिक्शा में सवार था। जैसे ही वाहन पहाड़गंज चौक पहुंचा, चालक दिलीप ने लाल बत्ती कूदने की कोशिश की। सामने से आ रही गाड़ी से बचने के लिए उसने अचानक मोड़ लिया जिसकी वजह से रिक्शा पलट गया।
पल भर में चीख-पुकार मच गई। स्थानीय लोगों ने चारों घायलों को लेडी हार्डिंग अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने राधिका को मृत घोषित कर दिया। पुलिस जांच में सामने आया कि चालक तेज रफ्तार से वाहन चला रहा था। चश्मदीद मोहम्मद जाहिद ने बताया कि चालक बार-बार बिना देखे गाड़ी चला रहा था। सिग्नल लाल होने पर भी उसने वाहन रोकने के बजाय तेजी से निकालने की कोशिश की। इसी लापरवाही ने राधिका की जिंदगी छीन ली व बाकी लोगों को घायल कर दिया।
स्थानीय लोगों ने मौके पर ही चालक को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। आरोपी की पहचान दिलीप (46), निवासी मोतिया खान चौक के रूप में हुई है। पुलिस ने उसका ई-रिक्शा जब्त कर लिया और उसे हिरासत में ले लिया। वहीं, मध्य जिला पुलिस उपायुक्त निधिन वल्सन ने बताया कि हादसे की सूचना मिलते ही थाना स्टाफ मौके पर पहुंचा।
जांच में सामने आया कि ई-रिक्शा पलटने से तीन छात्राएं और एक युवक घायल हुए थे। सभी को अस्पताल भेजा गया, जहां राधिका की मौत हो गई। वहीं वंशिका, जाहिद और एक अन्य छात्रा का इलाज जारी है। जाहिद के बयान पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पुलिस ने मंगलवार को पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया।
हादसे के बाद इलाके में लोगों का गुस्सा साफ झलका। उनका कहना था कि पहाडग़ंज इलाके में कई ई-रिक्शा चालक लापरवाही से सवारी ढोते हैं, लेकिन उन पर सख्त कार्रवाई नहीं होती। स्थानीय लोगों ने मांग की कि पुलिस ऐसे चालकों के खिलाफ अभियान चलाकर कड़ी कार्रवाई करे ताकि भविष्य में किसी मासूम की जिंदगी जोखिम में न पड़े।
राधिका की मौत की खबर मिलते ही परिवार पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा। परिजन बार-बार यही कह रहे थे कि बच्ची तो रोज की तरह स्कूल गई थी, लेकिन अब कभी लौटकर नहीं आएगी। पूरे मोहल्ले में शोक का माहौल है। पड़ोसियों का कहना है कि ई-रिक्शा चालकों की लापरवाही आए दिन लोगों की जान ले रही है। किसी का कहना था कि प्रशासन को अब और सख्त कार्रवाई करनी होगी, वरना मासूम जिंदगियां इसी तरह बर्बाद होती रहेंगी।
नबी करीम इलाके में रहने वाली आठ साल की चकोर अब अपनी बड़ी बहन राधिका को कभी नहीं देख पाएगी। मां-बाप का साया पहले ही उठ चुका था, और अब हादसे ने उसकी जिंदगी से बहन का भी सहारा छीन लिया। परिवार में अब दोनों अनाथ बहनों के सहारे सिर्फ ताऊ अशोक सोलंकी ही बचे हैं।
राधिका के परिवार की कहानी दिल दहला देने वाली है। चार साल पहले उसके पिता संजय सोलंकी की बीमारी से मौत हो गई थी। पति की मौत का सदमा राधिका की मां सहन नहीं कर पाईं और कुछ ही दिनों में दिल का दौरा पड़ने से चल बसीं। मां-बाप के जाने के बाद राधिका और उसकी छोटी बहन चकोर, ताऊ अशोक सोलंकी के साथ नबी करीम इलाके में रह रही थीं। अब ताऊ को ही दोनों बच्चियों का सहारा बनना है।
दिल्ली की सड़कों पर ई-रिक्शा की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। यह सस्ती और आसान सवारी जरूर है, लेकिन अधिकांश चालक न तो प्रशिक्षित होते हैं और न ही उनके पास जरूरी दस्तावेज रहते हैं। बिना फिटनेस सर्टिफिकेट और लाइसेंस के सड़क पर दौड़ते ये वाहन हर दिन खतरा बनते जा रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि ट्रैफिक पुलिस को नियम तोडऩे वाले चालकों पर कड़ा शिकंजा कसना चाहिए।