राजनाथ ने मोरक्को में टाटा के अत्याधुनिक रक्षा विनिर्माण केन्द्र का उद्घाटन किया

नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मोरक्को के रक्षा मंत्री अब्देलतीफ लौदी ने बुधवार को मोरक्को के बेरेचिड में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) के अत्याधुनिक रक्षा विनिर्माण केन्द्र का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया। श्री सिंह ने इस अवसर को दोनों देशों के बीच बढ रही रणनीतिक साझेदारी में एक ऐतिहासिक क्षण बताया। बीस हजार वर्ग मीटर में फैले इस केन्द्र में स्वदेशी व्हील्ड आर्मर्ड प्लेटफॉर्म (डब्ल्यू एचएपी) का उत्पादन किया जायेगा जिसे टीएएसएल और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा संयुक्त रूप से डिज़ाइन किया गया है।
यह एक आधुनिक मॉड्यूलर लड़ाकू प्लेटफॉर्म है जो उन्नत गतिशीलता, सुरक्षा और अलग-अलग तरह के मिशन के अनुकूल है। इसकी विशेषताएं जैसे स्केलेबल बैलिस्टिक और माइन प्रोटेक्शन के साथ टिकाऊ मोनोकॉक पतवार, स्वतंत्र सस्पेंशन, सेंट्रल टायर इन्फ्लेशन सिस्टम और उच्च-शक्ति इंजन बेहतरीन ऑफ-रोड प्रदर्शन सुनिश्चित करते हैं। इसके विन्यास में पैदल सेना लड़ाकू वाहन, बख्तरबंद कार्मिक वाहक, टोही, कमांड पोस्ट, मोर्टार वाहक और यहां तक कि एम्बुलेंस के प्रकार भी शामिल हैं। मानवयुक्त और मानवरहित रिमोट हथियार स्टेशनों और एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल क्षमता के विकल्प इसकी बहुमुखी प्रतिभा को और बढ़ाते हैं।
मोरक्को सरकार के साथ अनुबंध के तहत टीएएसएल रॉयल मोरक्कन आर्मी को ये वाहन देगा जिसकी शुरुआती डिलीवरी अगले महीने शुरू होने वाली है। यह केन्द्र निर्धारित समय से तीन महीने पहले चालू हो गया है और इसमें उत्पादन पहले ही शुरू हो चुका है। यह मोरक्को का सबसे बड़ा रक्षा विनिर्माण केन्द्र है जो अफ्रीका में किसी भारतीय निजी कंपनी द्वारा स्थापित पहला ऐसा संयंत्र है।
श्री सिंह ने इस अवसर पर कहा कि भारत का आत्मनिर्भरता का दृष्टिकोण केवल अपनी आवश्यकताओं के लिए निर्माण करना नहीं बल्कि ऐसी क्षमताएँ विकसित करना है जो भारत को दुनिया के लिए उन्नत तकनीक और उच्च-गुणवत्ता वाले उत्पादों का एक विश्वसनीय स्रोत बनाएंगी। उन्होंने कहा , ” भारत के लिए, आत्मनिर्भरता का अर्थ अलगाव नहीं है, बल्कि हमारा लक्ष्य आत्मनिर्भरता के अंतर्गत रणनीतिक स्वायत्तता विकसित करना है। हम ऐसी क्षमताएँ विकसित करना चाहते हैं जो हमें वैश्विक साझेदारों के संपर्क में रहते हुए स्वतंत्र रूप से अपने देश की रक्षा करने में सक्षम बनाएं। ‘मेक इन इंडिया’ के साथ-साथ, हम ‘मेक विद फ्रेंड्स’ और ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ को भी आगे बढ़ा रहे हैं। मोरक्को में यह सुविधा इसी दृष्टिकोण का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।”
रक्षा मंत्री ने कहा कि इस परियोजना से रक्षा संबंधी महत्वपूर्ण रोज़गार सृजित होने और मोरक्को में इंजीनियरों, तकनीशियनों और आपूर्तिकर्ताओं का एक मज़बूत स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र निर्मित होने की उम्मीद है। लगभग एक-तिहाई पुर्जे और उप-प्रणालियाँ शुरू से ही स्थानीय स्तर पर प्राप्त और असेंबल की जाएँगी, और आने वाले वर्षों में स्थानीय मूल्यवर्धन का हिस्सा बढ़कर 50 प्रतिशत हो जाएगा। समर्पित साझेदार महत्वपूर्ण उप-प्रणालियाँ और प्रौद्योगिकियाँ प्रदान करने के लिए भी कार्यरत हैं। इस एकीकरण से मोरक्को का रक्षा औद्योगिक आधार मजबूत होगा, उसकी आत्मनिर्भरता में वृद्धि और रॉयल मोरक्को सशस्त्र बलों के लिए दीर्घकालिक क्षमताओं का निर्माण होने की उम्मीद है।
श्री सिंह ने कहा, ” यह केवल एक नए संयंत्र का उद्घाटन नहीं है, बल्कि भारत और मोरक्को के बीच दीर्घकालिक मित्रता में एक नए अध्याय की शुरुआत है। इस सुविधा की स्थापना हमारे दोनों देशों के बीच बढ़ते रणनीतिक समन्वय का प्रतीक है और भारत के रक्षा उद्योग की ताकत को प्रदर्शित करती है।”
रक्षा मंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि अफ्रीका और यूरोप के प्रवेश द्वार के रूप में मोरक्को की रणनीतिक स्थिति इस केन्द्र को निर्यात और सहयोग का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनाती है, जिससे दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध और मज़बूत होंगे। उन्होंने कहा कि यह सुविधा न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा और समृद्धि में योगदान देगी, बल्कि भारत और मोरक्को की युवा प्रतिभाओं को एक सुरक्षित और नवोन्मेषी भविष्य के निर्माण में मिलकर काम करने के लिए प्रेरित भी करेगी। यह केन्द्र सहयोग के एक ऐसे मॉडल का प्रतिनिधित्व करता है जो संप्रभुता का सम्मान करता है, स्थानीय क्षमता को मज़बूत करता है और वैश्विक शांति एवं स्थिरता में योगदान देता है।
श्री सिंह ने कहा कि इस केन्द्र को मोरक्को की रक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के अलावा भविष्य में यहां से निर्यात के लिए भी डिज़ाइन किया गया है, जो महाद्वीपों और बाज़ारों के बीच एक सेतु का काम करेगा।
इस अवसर पर मोरक्को के उद्योग एवं व्यापार मंत्री रियाद मेजौर के साथ-साथ मोरक्को सरकार, मोरक्को की सशस्त्र सेना, भारत सरकार, भारतीय सशस्त्र सेना और टीएएसएल के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।