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संपादकीय { गहरी खोज }: अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एच-1बी वीजा के लिए शुल्क बढ़ाकर 1 लाख डॉलर करने से सबसे ज्यादा भारतीय प्रभावित होंगे क्योंकि पिछले कुछ समय से इसी श्रेणी में 70 प्रतिशत से अधिक वीजा भारत के लोगों को दिया गया है। एच-1बी वीजा का प्रावधान अमरीका में कारोबार करने वाली कंपनियों की कुशल कर्मचारियों की तात्कालिक जरूरत पूरी करने के लिए किया गया है। इसका हर साल रिन्युअल कराना होता है। ट्रंप का आरोप है कि कंपनियों ने इस प्रावधान का दुरुपयोग कर अमरीकियों से नौकरी छीनकर विदेशियों को दी है। ट्रंप द्वारा हस्ताक्षरित आदेश 21 सितंबर से प्रभावी हो चुका है। अब उसके अमरीका में सिर्फ उन्हीं विदेशी कर्मचारियों को प्रवेश मिलेगा जिनके वीजा शुल्क के रूम में 1 लाख डॉलर की राशि उनकी कंपनी ने जमा करा दी है। यह उन कर्मचारियों पर भी लागू होगा जो छुट्टी, आधिकारिक काम या किसी अन्य कारण से इस समय विदेश में हैं और 21 सितंबर से पहले अमरीका लौटने में विफल रहते हैं। हालांकि, अमरीकी गृह मंत्री को यह अधिकार दिया गया है कि वह एच-1बी वीजा पर पहले से कार्यरत उन कर्मचारियों को इस प्रावधान से छूट दे सके जो राष्ट्रीय सुरक्षा या अमरीका के हित के लिए खतरा नहीं हैं। उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2022-23 में अमरीका ने करीब 1.91 लाख भारतीयों को एच-1बी वीजा जारी किया था। यह संख्या 2023-24 में बढ़कर लगभग 2.07 लाख पर पहुंच गई। अमरीकी सांसदों और सामुदायिक नेताओं ने ट्रंप के फैसले को विवेकहीन और दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया, साथ ही इस कदम का सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) उद्योग पर बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका जताई। सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने कहा कि एच-1बी वीजा पर 1,00,000 डॉलर का शुल्क लगाने का ट्रम्प का फैसला बेहद कुशल कामगारों को अमरीका से दूर करने का एक भयावह प्रयास है, जिन्होंने लंबे समय से हमारे कार्यबल को मजबूत किया है, नवाचार को बढ़ावा दिया है और लाखों अमेरिकियों को रोजगार देने वाले उद्योगों की स्थापना में मदद की है। कृष्णमूर्ति ने कहा कि एच-1बी वीजा धारक अंततः नागरिक बन जाते हैं और ऐसे व्यवसाय शुरू करते हैं जिनसे अमरीका में अच्छी तनख्वाह वाली नौकरियां सृजित होती हैं। उन्होंने कहा, जब दूसरे देश वैश्विक प्रतिभाओं को आकर्षित करने की होड़ में लगे हैं तो अमरीका को भी अपने कार्यबल को मजबूत बनाने के साथ-साथ आव्रजन प्रणाली को आधुनिक बनाना चाहिए। अमरीका को ऐसी बाधाएं खड़ी नहीं करनी चाहिएं जो हमारी अर्थव्यवस्था और सुरक्षा को कमजोर करें। पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल के दौरान उनके सलाहकार रहे और आव्रजन नीति पर एशियाई-अमरीकी समुदाय के नेता अजय भुटोरिया ने एच1-बी शुल्क बढ़ाने संबंधी ट्रंप की नयी योजना से अमरीकी प्रौद्योगिकी क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त पर संकट मंडराने की चेतावनी दी।

भूटोरिया ने कहा कि इस कदम से वे कुशल पेशेवर दूर हो जाएंगे जो सिलिकॉन वैली को शक्ति प्रदान करते हैं और अमरीकी अर्थव्यवस्था में अरबों डॉलर का योगदान देते हैं। उन्होंने कहा कि यह कदम उल्टा पड़ सकता है क्योंकि इससे प्रतिभाशाली कामगारों को कनाडा या यूरोप जैसे प्रतिस्पर्धियों के पास जाना पड़ सकता है। ‘फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्ट्डीज’ के खंडेराव कांद ने कहा कि शुल्क लगाया जाना एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है जिसका व्यवसायों विशेष रूप से सॉफ्टवेयर और प्रौद्योगिकी उद्योग पर बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। पूर्व जी20 शेरपा अमिताभ कांत ने शनिवार को कहा कि एच-1बी वीजा पर 1,00,000 डॉलर की सालाना फीस लगाने का अमरीकी सष्ट्रपति ट्रंप का फैसला अमरीका में ही इनोवेशन के लिए एक बाधा बनेगा जबकि इससे भारतीय आईटी और टैक कंपनियों को फायदा होगा। कांत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘ट्रंप की 1 लाख डॉलर की एच-1बी फीस अमरीका में इनोवेशन को कम करेगी और भारत की ग्रोथ को बढ़ाएगी। अमरीका ग्लोबल टैलेंट के लिए दरवाजे बंद कर, लैब्स, पेटेंट, इनोवेशन और स्टार्टअप की नैक्स्ट वेव को भारत में बैंगलोर, हैदराबाद, पुणे और गुड़गांव की ओर धकेल रहा है।’ उन्होंने आगे कहा कि भारत के बेहतरीन डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक और इनोवेटर को विकसित भारत के लक्ष्य में देश के विकास और प्रगति में योगदान देने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा, ‘अमरीका का नुक्सान, भारत का फायदा होगा।’ उद्यमी और निवेशक कुणाल बहल ने कहा कि नए एच-1बी वीजा नियमों के कारण, बहुत सारे प्रतिभाशाली लोग भारत वापस आने वाले हैं। उन्होंने लिखा, ‘शुरुआत में अपना बेस बदलना मुश्किल होगा, लेकिन भारत में इतने सारे अवसरों को देखते हुए यह उनके लिए फायदेमंद होगा। भारत में प्रतिभा की क्षमता तेजी से बढ़ रही है।’

‘कैटो इंस्टीच्यूट के इमिग्रेशन स्टडीज’ के निदेशक डेविड बियर ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि भारतीय एच-1बी कर्मचारियों ने अमरीका में अथाह योगदान दिया है, जिसमें सैकड़ों अरबों का कर, करोडों डॉलर की फीस और खरबों डॉलर की सेवाएं शामिल हैं। उन्होंने कहा, भारतीय हमारे यहां रहने वाले सबसे शांतप्रति, बुद्धिमान और दिलचस्प समुदाय में से एक हैं। और हम बदले में क्या देते हैं? बदनामी और भेदभाव…। उन्होंने कहा, अब ट्रंप ने एक सरकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत आधिकारिक तौर पर इस आबादी को खलनायक घोषित किया गया है। भारतीय संभवतः पूरे अमरीकी इतिहास में सबसे ज्यादा कानून का पालन करने वाला, मेहनती, शांतिप्रिय समुदाय है

देश की 283 अरब डॉलर की भारतीय आईटी कंपनियों का नेतृत्व करने वाले शीर्ष संगठन नैसकॉम ने एच-1बी वीजा आवेदन शुल्क को बढ़ाकर 1,00,000 डॉलर करने के ट्रंप प्रशासन के फैसले का कड़ा विरोध जताया। भारतीय आईटी उद्योग और अमेरिका में नवाचार के लिए इस फैसले को बड़ा झटका करार देते हुए नैसकॉम ने एक दिन की समय सीमा को चिंता का विषय बताया। यह दुनिया भर के व्यवसायों, पेशेवरों और छात्रों के लिए काफी अनिश्चितता पैदा करेगी। नैसकॉम ने कहा कि इस फैसले से उन ऑनशोर परियोजनाओं की व्यावसायिक निरंतरता बाधित होगी जिनमें समायोजन की आवश्यकता हो सकती है। नैसकॉम ने एक बयान में कहा कि अमेरिका के इस कदम से वैश्विक और भारतीय कंपनियों के लिए काम करने वाले एच-1बी वीजा धारक भारतीय नागरिक प्रभावित होंगे। नैसकॉम ने नए नियम को लागू करने के लिए दिए गए एक दिन के समय की कड़ी आलोचना की। यह आदेश 19 सितंबर, 2025 को जारी किया गया और 21 सितंबर से प्रभावी हो गया।

नैसकॉम ने अमेरिकी प्रशासन के इस दावे का खंडन किया कि एच-1बी कार्यक्रम अमेरिकी नौकरियों के लिए खतरा है। नैसकॉम ने स्पष्ट किया कि एच-1बी वीजा धारक अत्यधिक कुशल पेशेवर होते हैं। वे अमेरिकी कार्यबल में कौशल की कमी को पूरा करते हैं, खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में। ये पेशेवर अमेरिकी अर्थव्यवस्था और नवाचार को गति देने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिता भकांत ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एच1-बी वीजा शुल्क को 1,00,000 अमेरिकी डॉलर करने का निर्णय अमेरिकी नवाचार को ही प्रभावित करेगा। इस फैसले के बाद पेटेंट की अगली लहर भारतीय शहरों की ओर मुड़ेगी। नवाचार की कंपनियां अब भारत के बंगलूरू, हैदराबाद की ओर रुख करेंगी, जिससे भारत के नवाचार और प्रगति को नई गति मिलेगी। कांत ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, डोनाल्ड ट्रंप का 1,00,000 डॉलर वाला एच1-बी शुल्क अमेरिकी नवाचार को दबा देगा, जबकि भारत के नवाचार को तेज करेगा।

कांग्रेस ने डोनाल्ड ट्रम्प के एच-1बी वीजा आवेदन पर एक लाख डालर शुल्क लगाने के फैसले को पीएम मोदी का जन्मदिन रिटर्न गिफ्ट बताया। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, पीएम मोदी को ट्रम्प के रिटर्न गिफ्ट से देश की जनता दुखी है।

खरगे ने तंज कसा कि गले मिलना, खोखले नारे लगाना, संगीत कार्यक्रमों का आयोजन करना, लोगों से मोदी-मोदी के नारे लगवाना, विदेश नीति नहीं है। यह केवल दिखावा है।

राहुल बोले-प्रधानमंत्री कमजोर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अपने 2017 के उस पोस्ट का जिक्र किया जिसमें उन्होंने पीएम से एच1बी वीजा मुद्दे पर डोनाल्ड ट्रंप के साथ बातचीत न करने पर सवाल उठाया था। राहुल ने पोस्ट किया, भारत के पास कमजोर प्रधानमंत्री है। उपरोक्त तथ्यों से दो बातें स्पष्ट है पहली यह कि ट्रम्प के टैरिफ वार के बाद भारत के विरुद्ध यह दूसरा बड़ा कदम है जिस से भारत की प्रतिभा और भारतीय कम्पनियों को बड़ा झटका लगा है। इस झटके को देखते हुए राहुल गांधी और खरगे को ट्रम्प ने मोदी सरकार पर निशाना साधने का एक और अवसर दे दिया है। जिसका कांग्रेस नेताओं सहित उनके सहयोगी भी पूरा-पूरा लाभ लेने का प्रयास करेंगे।

ट्रम्प द्वारा एच-1बी वीजा को लेकर जो निर्देश दिए हैं उनका भारत पर बुरा प्रभाव तो पड़ेगा ही लेकिन अमेरिका भी प्रभावित होगा। यह बात तो अमेरिकी सांसद और वहां के विशेषज्ञ भी कह रहे हैं। ट्रम्प का नया निर्देश भारत पर दबाव बनाने का एक और प्रयास है। भारत ने टैरिफ मुद्दे पर जो रूख अपनाया था उससे ट्रम्प की साख को झटका लगा था। ट्रम्प अब भारत को विशेषतया प्रधानमंत्री मोदी को झुकाने व अपनी साख को बचाने के लिए किसी हद तक जा सकता है। अगले एक दो महीने तक भारतीयों को ऐसे झटकों के लिए तैयार रहना होगा। सरकार को सतर्क रहते हुए संवाद द्वारा स्थिति सामान्य करने के लिए प्रयासरत रहना होगा।

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