महाराष्ट्र के 5,320 गांव बाढ़ की चपेट में, 35 से ज़्यादा लोगों को एयरलिफ्ट किया गया

- अब तक बाढ़ ने ली आठ लोगों की जान, राहत और बचाव कार्य जारी
मुंबई{ गहरी खोज }: महाराष्ट्र के तीस जिलों में मूसलाधार बारिश और जलाशयों से हो रहे जल प्रवाह की वजह से मंगलवार को 5,320 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। कई लोगों में लोग बाढ़ के पानी से घिर गए हैं। बीड़ में आज सुबह 35 से ज़्यादा लोगों को एयरलिफ्ट किया गया। राहत और बचाव कार्य जारी है। उप मुख्यमंत्रियों ने जहां बाढ़ की स्थिति की समीक्षा की हे वहीं मुख्यमंत्री ने स्थानीय प्रशासन को समन्वय बनाकर आवश्यक कदम उठाने को कहा है।
आपदा प्रबंधन सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि जलगांव, अहिल्यानगर और सोलापुर जिलों समेत मराठवाड़ा में भारी बारिश ने कहर बरपाया है। मराठवाड़ा में बाढ़ से कुल 8 लोगों की मौत हुई। इनमें से लातूर में 03, धाराशिव में 01, बीड में दो और नांदेड़ में एक की मौत हुई। मराठवाड़ा में कुल 150 छोटे-बड़े जानवर मारे गए। इनमें संभाजीनगर जिले में 05, जालना में 15, परभणी जिले में 06, हिंगोली में 06, नांदेड़ जिले में 09, बीड जिले में 63, लातूर जिले में 07 और धाराशिव जिले में 21 जानवर शामिल हैं।
उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने आज बाढ़ की स्थिति की समीक्षा की और प्रशासन को तत्काल कदम उठाने और प्रभावित इलाकों से लोगों को हवाई मार्ग से निकालने का आदेश दिया। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने स्थिति की समीक्षा के लिए बीड, धाराशिव, लातूर, परभणी और हिंगोली के जिला कलेक्टरों को बुलाया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्थानीय प्रशासन से राज्य जल संसाधन विभाग के साथ समन्वय करके आवश्यक कदम उठाने को कहा है। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, मुख्यमंत्री स्थिति पर नजऱ बनाए हुए हैं। वह स्थानीय प्रशासन के संपर्क में हैं। इसके अलावा, उन्होंने जल संसाधन विभाग को स्थिति पर नजऱ रखने, आवश्यक सावधानी बरतने और जिला कलेक्टरों के साथ निरंतर समन्वय बनाए रखने के निर्देश दिए हैं।
आपदा प्रबंधन विभाग सूत्रों ने बताया कि धाराशिव में सीना, चांदनी, उल्का और उल्फा नदियों के उफान पर होने और उनके किनारे बसे गांवों में पानी भर जाने के बाद, प्रशासन ने सेना की मदद से उन लोगों को बचाने के लिए बड़े पैमाने पर हवाई मार्ग से निकालने का अभियान शुरू किया है, जिन्हें अपनी छतों पर ऊंचे स्थानों पर शरण लेनी पड़ी थी। छत्रपति संभाजी नगर स्थित संभागीय आयुक्त कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया, परांदा तहसील के देवगांव में 35 लोगों को हेलीकॉप्टर से हवाई मार्ग से बचाया गया और वडनेर गांव से चार लोगों को हवाई मार्ग से निकालने के प्रयास जारी हैं।
एक अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने नावों की मदद से 33 अन्य ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया। उन्होंने कहा, वडेगाव्हन गांव में 150 से ज़्यादा ग्रामीण बाढ़ में फंस गए हैं और सेना उन्हें बचाने की कोशिश कर रही है। एनडीआरएफ द्वारा अब तक बीड में बचाए गए लोगों में शिरूर से 07, गेवराई से 12 और नादुर हवेली से 15 लोग शामिल हैं। उन्होंने बताया कि पिछले 24 घंटों में नांदेड़, लातूर और धाराशिव में बारिश से जुड़ी घटनाओं में कम से कम चार लोगों की मौत हो गई है। प्राथमिक रिपोर्टों के अनुसार 83 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं, लेकिन धाराशिव में नुकसान की सीमा का पता बारिश कम होने के दो-तीन दिनों बाद ही चलेगा।
पुणे से एनडीआरएफ की एक टीम और धुले से राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) को अहिल्यानगर जिले के पाथर्डी, शेवगांव, जामखेड और कर्जत तहसीलों में फंसे नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए भेजा गया है। सोलापुर की बार्शी तहसील में, सीना और भोगावती नदियों के उफान में फंसे ग्रामीणों को बचाने के लिए एनडीआरएफ की एक टीम भेजी गई है। करमाला तहसील के कई गाँव भी बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। जलगाँव की पचोरा तहसील के चार गाँव भी बाढ़ में डूबे हुए हैं और राहत एवं बचाव कार्यों के लिए एसडीआरएफ की एक टीम भेजी गई है क्योंकि हिवारा नदी में भी बाढ़ आने की संभावना है।
छत्रपति शिवाजी नगर के अधिकारियों के अनुसार बचाव और राहत कार्यों के लिए अहिल्यानगर से 60 सदस्यीय सेना दल को बुलाया गया था । खराब मौसम के कारण बेस पर लौटने से पहले एक हेलीकॉप्टर ने देवगांव में फंसे 28 ग्रामीणों को निकाला। बीड के स्थानीय अधिकारियों के अनुसार कई नदियों में जल स्तर बढऩे के कारण, गाँव एक-दूसरे से कट गए हैं, शिरल के पास और कड़ा-धामणगाँव राजमार्ग पर पुल बंद कर दिए गए हैं। अहिल्यानगर-बीड राजमार्ग पर कड़ा नदी के उफान पर होने की आशंका के कारण, अधिकारियों ने इस मार्ग पर यात्रा करने के बारे में चेतावनी जारी की है।