नवरात्रि के तीसरे दिन की देवी, भोग, मंत्र, कथा, आरती और रंग क्या है? जानिए सबकुछ यहां

0
mata-durga-1758607402

धर्म { गहरी खोज } : शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन 24 सितंबर 2025, बुधवार को है। इस दिन तृतीया तिथि पूरी रात पार करके 25 सितंबर की सुबह 7 बजकर 7 मिनट तक रहेगी। नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की उपासना की जायेगी। देवी मां के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित होने के कारण ही इन्हें चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है। माता चंद्रघंटा को देवी दुर्गा का उग्र रूप माना जाता है। चलिए जानते हैं मां चंद्रघंटा की पूजा विधि, भोग, मंत्र, कथा और आरती।

नवरात्रि के तीसरे दिन किस रंग के कपड़े पहनें
नवरात्रि के तीसरे दिन का शुभ रंग हरा, आसमानी और नारंगी है। इस दिन इन रंगों के कपड़े पहनना अत्यंत शुभ माना जाता है।

मां चंद्रघंटा का स्वरूप
मां चंद्रघंटा का वाहन सिंह है और इनके दस हाथों में से चार दाहिने हाथों में कमल का फूल, धनुष, जप माला और तीर है और पांचवां हाथ अभय मुद्रा में रहता है, जबकि चार बाएं हाथों में त्रिशूल, गदा, कमंडल और तलवार है और पांचवा हाथ वरद मुद्रा में रहता है, उनका स्वरूप भक्तों के लिए बड़ा ही कल्याणकारी है। ये सदैव अपने भक्तों की रक्षा के लिये तैयार रहती हैं। इनके घंटे की ध्वनि के आगे बड़े से बड़ा शत्रु भी नहीं टिक पाता है।

मां चंद्रघंटा का भोग
आज माता चंद्रघंटा को प्रसाद के रूप में गाय के दूध से बनी खीर का भोग लगाने से जातक को सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।

मां चंद्रघंटा का मंत्र
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा के मंत्र का जप किया जाये तो जीवन में चल रही परेशानियों से छुटकारा मिलता है। लिहाजा इस दिन आपको मां चंद्रघंटा के मंत्र का 11 बार जप अवश्य करना चाहिए। मंत्र इस प्रकार है-

पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

मां चंद्रघंटा पूजा विधि
मां चंद्रघंटा को फूल, अक्षत, चंदन, सिंदूर अर्पित करें। फिर मां की कथा का पाठ करें। उन्हें खीर का भोग लगाएं और अंत में माता चंद्रघंटा की आरती करें।

मां चंद्रघंटा स्तुति

आपद्धद्धयी त्वंहि आधा शक्ति: शुभा पराम्।
अणिमादि सिद्धिदात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यीहम्॥
चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्ट मंत्र स्वरूपणीम्।
धनदात्री आनंददात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायनीम्।
सौभाग्यारोग्य दायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥

मां चंद्रघंटा कथा

कहा जाता है कि माता दुर्गा ने ये स्वरूप दैत्यों के आंतक को खत्म करने के लिए धारण किया था। जब महिषासुर के आंतक से देवता लोग परेशान हो गए थे तो वे परेशान होकर ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शरण में गए। तब त्रिदेव के क्रोध से जो ऊर्जा निकली उसी से मां चंद्रघंटा का रूप प्रकट हुआ।

मां चंद्रघंटा की आरती

जय माँ चन्द्रघण्टा सुख धाम।पूर्ण कीजो मेरे काम॥
चन्द्र समाज तू शीतल दाती।चन्द्र तेज किरणों में समाती॥
मन की मालक मन भाती हो।चन्द्रघण्टा तुम वर दाती हो॥
सुन्दर भाव को लाने वाली।हर संकट में बचाने वाली॥
हर बुधवार को तुझे ध्याये।श्रद्धा सहित तो विनय सुनाए॥
मूर्ति चन्द्र आकार बनाए।सन्मुख घी की ज्योत जलाएं॥
शीश झुका कहे मन की बाता।पूर्ण आस करो जगत दाता॥
कांचीपुर स्थान तुम्हारा।कर्नाटिका में मान तुम्हारा॥
नाम तेरा रटू महारानी।भक्त की रक्षा करो भवानी॥

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *