मुरैना ‘सोलर-प्लस-स्टोरेज’ परियोजना ने ग्रीन ऊर्जा और स्टोरेज को दी नई दिशा : मुख्यमंत्री

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  • मप्र के नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में मिली निविदा में ऐतिहासिक उपलब्धि, मिला न्यूनतम 2.70 रुपये प्रति यूनिट टैरिफ रेट

भोपाल { गहरी खोज }: मध्य प्रदेश ने नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में मिली निविदा में ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। मुरैना में विकसित हो रही प्रदेश की पहली ‘सोलर-प्लस-स्टोरेज’ परियोजना में 2.70 रुपये प्रति यूनिट दर की निविदा प्राप्त हुई है, जो अब तक की सबसे कम टैरिफ दर है। यह देश की पहली परियोजना है, जिसमें तीन रुपये प्रति यूनिट से कम पर फर्म और डिस्पैचेबल रिन्यूएबल एनर्जी उपलब्ध होगी।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह परियोजना 95 प्रतिशत वार्षिक उपलब्धता के साथ भारत की पहली ‘सोलर-प्लस-स्टोरेज’ परियोजना बन गई है। अब तक देशभर की परियोजनाओं में केवल 50 फीसद पीक ऑवर्स उपलब्धता और 85 फीसदी वार्षिक उपलब्धता सुनिश्चित हो पाती थी। मुरैना परियोजना इस ट्रेंड को बदलते हुए पीएम ऑवर्स में 95 फीसदी आपूर्ति के नए मानक स्थापित करेगी।
उन्होंने बताया कि मुरैना में बनने जा रहे राज्य के सबसे बड़े 600 मेगावाट सौर ऊर्जा भंडार प्रोजेक्ट में अब तक की सबसे न्यूनतम दर 2.70 रुपये प्रति यूनिट प्राप्त हुई है। इससे पहले देश में न्यूनतम दर 3.09 रुपये थी। उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत स्वच्छ और सस्ती ऊर्जा के क्षेत्र में नई ऊँचाइयाँ छू रहा है। मुरैना की यह परियोजना ‘सेवा पखवाड़ा’ के दौरान राष्ट्र को समर्पित है। उन्होंने कहा कि ”मुरैना सोलर प्लस स्टोरेज परियोजना से पूरे देश में ग्रीन ऊर्जा उत्पादन और स्टोरेज की नई राह खुलेगी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मुरैना परियोजना में प्राप्त की गई सफलता के आधार पर लंबे समय की ऊर्जा भंडारण परियोजनाओं के लिए संकल्प व्यक्त किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि परियोजना में प्राप्त किया गया कम टैरिफ प्रदर्शित करता है कि नवकरणीय ऊर्जा भी डिस्कॉम के लिए अधिक किफायती हो सकता है।
गौरतलब है कि मुरैना सोलर पार्क को रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड द्वारा क्रियान्वित किया गया है, जिसने पहले भी प्रतिष्ठित नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को विकसित किया है। मुरैना परियोजना से उत्पादित बिजली राज्य द्वारा खरीदी जाएगी। मुरैना सोलर पार्क में 2 यूनिट स्थापित की जा रही हैं, प्रत्येक इकाई से तीनों चरणों में 220 मेगावॉट क्षमता ऊर्जा का उत्पादन होगा।
पहला चरण : वास्तविक समय पर सौर ऊर्जा (220 मेगावॉट तक)दूसरा चरण : शाम के पीक ऑवर्स में 2 घंटे (बैटरी में संचित सौर ऊर्जा से)तीसरा चरण : सुबह के पीक ऑवर्स में 2 घंटे (रात्रि में ग्रिड से चार्ज बैटरी से)
इस नवाचार से बैटरी का उपयोग दिन में दो बार संभव होगा, जिससे लागत में उल्लेखनीय कमी आएगी। कुल मिलाकर सुबह और शाम के पीक ऑवर्स में 440 मेगावॉट सप्लाई सुनिश्चित होगी।
जनसम्पर्क अधिकारी क्रांतिदीप अलूने ने बताया कि मुरैना परियोजना दो परियोजनाओं का मिश्रण है, जिसमें पहलाएक सामान्य सिंगल-चार्ज कम्पोजिट सोलर प्रोजेक्ट, जिसमें बैटरी को सोलर एनर्जी से चार्ज जाता है। दूसरा स्टोरेज एज ए सर्विस प्रोजेक्ट है, जिसमें अतिरिक्त ग्रिड पॉवर से रात के समय बैटरी दोबारा चार्ज की जाएगी। इससे सुबह के पीक ऑवर्स की आपूर्ति की जाएगी। इस परियोजना का सबसे बड़ा लाभ यह है कि बैटरी, दिन में दो बार उपयोग की जाएगी। यह परियोजना सुनिश्चित करती है कि राज्य ग्रिड में उपलब्ध रात के समय अतिरिक्त बिजली का उपयोग सुबह की पीक ऑवर्समें विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि मुरैना परियोजना पीक ऑवर्स और दिन के समय में समान स्तर की आपूर्ति (प्रत्येक इकाई से 220 मेगावाट) के लिए एक बेंचमार्क स्थापित करती है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह द्वारा नियोजित भविष्य की परियोजनाओं का मार्ग प्रशस्त करता है जो दिन और रात के समय एक फ्लैट प्रोफाइल की बिजली की आपूर्ति करते हुए एक ऐसी परियोजना की आधारशिला रखेगी जो पूरे 24 घंटों के लिए समान स्तर की बिजली की आपूर्ति करे। यह नवकरणीय ऊर्जा को पारंपरिक ऊर्जा के समान निश्चितता प्रदान करेगा और इसे तकनीकी और व्यावसायिक रूप से समतुल्य बना देगी
उन्होंने बताया कि ई-रिवर्स नीलामी 19 सितंबर को 25 वर्षों के लिए निर्धारित 2.70 रुपये प्रति यूनिट के ऐतिहासिक टैरिफ के साथ हुई, नीलामी प्रक्रिया लगभग 12 घंटे चली। यह पूरे भारत में एफडीआर ई-निविदाओं के लिए एक मील का पत्थर है। परियोजना के ई-रिवर्स ऑक्शन में 16 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने भाग लिया। यह क्षमता की तुलना में लगभग 10 गुना अधिक सब्सक्रिप्शन था। ऑक्शन में अडानी रिन्यूएबल्स, एनटीपीसी रिन्यूएबल्स, रिन्यू सोलर, एसीएमई, एंजी एनर्जी, दिलीप बिल्डकॉन, एमबी पॉवर जैसी कंपनियाँ शामिल थीं।
यूनिट-1 के लिए सीगल इंडिया लिमिटेड (Ceigall India Ltd) ने 2.70 रुपये प्रति यूनिट और यूनिट-2 के लिए एक्मे सोलर होल्डिंग लिमिटेड (Acme Solar Holding Ltd) ने 2.764 रुपये प्रति यूनिट की दर पर यह निविदा हासिल की। इस ऑक्शन में प्राप्त टैरिफ से स्पष्ट है कि डिस्पेजेबल नवकरणीय ऊर्जा (बैटरी भंडारण के साथ सौर ऊर्जा के संयोजन से सक्षम) कोयला आधारित बिजली की तुलना में अधिक किफायती हो गई है।
परियोजना का विकास रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है, जिसने रीवा और आगर जैसी परियोजनाओं को सफलतापूर्वक विकसित किया है। आरयूएमएसएल द्वारा परियोजना को निविदा से पहले निवेश के लिए तैयार किया गया। अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम द्वारा लेन-देन सलाहकार के रूप में मध्य प्रदेश में तैयार की गई जोखिम मुक्त परियोजनाओं ने समय-समय पर साबित किया है कि बैंकेएबल अनुबंध, पूरी तरह से भूमि एकत्रीकरण, सक्रिय पारेषण योजना, वित्तपोषण और अनुबंध सहित साइट तैयार करना, पर्यावरण और सामाजिक जोखिमों को पर्याप्त रूप से कम करना, साथ ही एक पारदर्शी और विकासक अनुकूल निविदा प्रक्रिया के परिणामस्वरूप बेहतर मूल्य निर्धारण से उल्लेखनीय बचत होती है।
पार्क डेवलपर के रूप में आरयूएमएसएल भूमि और आंतरिक बिजली निकासी का बुनियादी ढांचा प्रदान करेगा, जबकि एमपी ट्रांसको परियोजना के लिए आवश्यक बाहरी विद्युत निकासी हेतु बुनियादी ढांचे का विकास कर रहा है। इस परियोजना में एक मजबूत 3-स्तरीय भुगतान सुरक्षा तंत्र है, जिसमें बेहतर बैंक योग्यता (bankability) के लिए राज्य गारंटी शामिल है तथा क्रेता डिफ़ॉल्ट (procurer default) और अतिरिक्त ऊर्जा की सुनिश्चित खरीद (assured procurement of excess energy) के लिए उचित समाप्ति मुआवजा और कम उठाव तथा ग्रिड अनुपलब्धता के लिए मुआवजा दिया गया है।
नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री राकेश शुक्ला ने चंबल क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए मुरैना परियोजना को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। इस परियोजना से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर पैदा होंगे और क्षेत्र के औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

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