तमिलनाडु में प्राचीन तमिल सभ्यता की प्राचीनता की खोज और अध्ययन के लिए शोध कार्य शुरू

चेन्नई{ गहरी खोज }: तमिलनाडु सरकार ने पुरातत्व विभाग और भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय की मदद से तमिल सभ्यता की प्राचीनता की खोज और अध्ययन के लिए गहरे समुद्र में शोध कार्य शुरू कर दिया है। राज्य के पुरातत्व मंत्री थंगम थेन्नारसु ने शनिवार को इसकी जानकारी दी। राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन में भी इस पर खुशी का इजहार किया है।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सोशल मीडिया पर किए गए अपने पोस्ट में कहा, निचला हिस्सा हमारी मातृभूमि है। हमने दुनिया को लोहे की प्राचीनता से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार तमिलनाडु की सनातन एवं पुरातन कला, संस्कृति और साहित्य को संरक्षित करने, बढ़ावा देने और उसका विस्तार करने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य सरकार विभिन्न पहलों और योजनाओं को लागू कर रही है, जिनमें ऐतिहासिक युगों पर शोध और प्रचार शामिल है।
मुख्यमंत्री स्टालिन ने यह पोस्ट ऐसे समय में किया है जब मयिलादुथुराई जिले के पूमपुकर में गहरे समुद्र में उत्खनन कार्य शुरू हो गया है। राज्य सरकार की ओर से पूर्व में ही यह घोषणा की गई थी कि वित्तीय वर्ष 2025 और 2026 में पूमपुकर से नागपट्टिनम तक गहरे समुद्र में उत्खनन कार्य किया जाएगा।
पुरातत्व मंत्री थंगम थेन्नारसु ने बताया कि तमिलनाडु के पुरातत्व विभाग द्वारा भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय की सहायता से वर्तमान मयिलादुथुराई जिले के पूम्पुकर (जिसे अब कावेरीपूमपट्टिनम कहा जाता है) में प्राचीन तमिल सभ्यता की प्राचीनता की खोज और अध्ययन के लिए शोध कार्य शुरू किया गया है, जो मुवेंद्र काल, संगम साहित्य और संगमोत्तर महाकाव्यों में वर्णित एक प्रमुख समुद्री व्यापार बंदरगाह था।
उन्होंने बताया कि प्रोफ़ेसर के.राजन और पुरातत्व विभाग के संयुक्त निदेशक शिवानंदम सहित विशेषज्ञों की एक टीम इस शोध कार्य कार्य को अंजाम दे रही है। पुरातत्व मंत्री ने इससे जुड़ी तस्वीरें साझा करते हुए कहा कि गहरे समुद्र में तमिल इतिहास की खोज की जा रही है।