आपदा फंड को लेकर विवाद

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संपादकीय { गहरी खोज }: पंजाब में आई बाढ़ के कारण उत्पन्न हुई संकट की स्थिति का जायजा लेने जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पंजाब आए तो प्रधानमंत्री ने आपदा को देखते हुए तत्काल रूप से 1600 करोड़ रुपए देने की घोषणा की साथ में कहा कि यह शुरुआती सहायता है। केंद्र की टीम द्वारा दी रिपोर्ट के आधार पर बाद में और सहायता राशि दी जाएगी। इसके साथ-साथ मोदी ने यह भी कहा कि पंजाब के पास 12000 करोड़ रुपए का आपदा फंड पहले ही पड़ा है। प्रधानमंत्री मोदी के 12000 करोड़ रुपए के बयान के साथ ही पंजाब की राजनीति गरमा गई। आप सरकार केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश में थी, अब कांग्रेस, अकाली दल और भाजपा पंजाब सरकार को कटघरे में खड़ा करती दिखाई दे रही है। सबका एक ही प्रश्न है कि केंद्र द्वारा आपदा के लिए आये 12000 करोड़ रुपए कहां हैं?

पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने केवल एक तकनीकी कार्रवाई कहते हुए नकार दिया, जबकि मंत्री अमन अरोड़ा ने कहा कि धन तो अवश्य आया है पर उसकी शर्तें इतनी सख्त या अव्यवहारिक हैं कि इस राशि का इस्तेमाल करना ही मुश्किल है।

गौरतलब है कि वित्त आयोग अपनी रिपोर्ट में विभिन्न प्रदेशों व केंद्र को आपदा की स्थिति का मुकाबला करने के लिए धन देने की सिफारिश करता है, जो दो किश्तों में आती है और हर वर्ष 5 प्रतिशत के हिसाब से बढ़ाई जाती है। इस आपदा में 75 प्रतिशत केंद्र सरकार ने देना होता है और 25 प्रतिशत प्रदेश की सरकार ने।

केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित नियमों के सख्त होने के कारण प्रदेश सरकारें अपने स्तर पर सीधे ही राहत राशि देने को प्राथमिकता देती है। परिणामस्वरूप केंद्र द्वारा दी गई आपदा राशि जमा होती रहती है। पंजाब को पिछले चार वर्षों में 2988 करोड़ रुपए मिले हैं लेकिन सख्त नियमों के कारण इनका पूरा इस्तेमाल नहीं हुआ।

समय की मांग तो यह थी कि केंद्र और पंजाब सरकार अपने-अपने स्तर पर तथ्यों के साथ स्थिति स्पष्ट करती पर ऐसा हुआ नहीं और राजनीतिक स्वार्थ हेतु अपनी-अपनी सुविधानुसार बयानबाजी शुरू हो गई। आपदा की इस घड़ी में राहत फंड को लेकर जो कहा जा रहा है वह नकारात्मक राजनीति है, जबकि इस समय जरूरत आपसी मतभेद भूलकर राहत कार्यों में जुटने की थी। केंद्र सरकार ने देश के विभिन्न हिस्सों में बाढ़ को देखते हुए

प्राकृतिक आपदाओं के दौरान प्रभावित लोगों को दी जाने वाली राहत और पुनर्वास सहायता के मानकों में बड़ा बदलाव किया है। गृह मंत्रालय (एमएचए) की ओर से जारी संशोधित गाइडलाइन 2026 तक प्रभावी रहेंगी। इसके तहत राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) से मिलने वाली सहायता के नियम बदले गए हैं। हाल ही में जारी नई गाइडलाइन के अनुसार एसडीआरएफ का 40 प्रतिशत हिस्सा राहत कार्यों के लिए उपयोग होगा। एसडीआरएफ के वार्षिक आवंटन का यह 50 प्रतिशत होगा। केंद्र की ओर से पहले मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपए दिए जाते थे। इसे एसडीआरएफ में बढ़ाया गया है। नई गाइडलाइन से मृतकों, घायलों, दिव्यांगों, विस्थापितों और किसानों को समय पर मदद मिल सकेगी। वहीं, पंजाब ने मांग की है कि एसडीआरएफ नियमों को जमीनी हालात के अनुसार और लचीला बनाया जाए। मृतकों के परिजनों को 4 लाख रुपए आपदा में मृतकों के परिजनों को मिलेंगे चार लाख, यह सहायता उन लोगों को भी मिलेगी जो आपदा प्रबंधन या राहत कार्यों में शामिल रहते हुए मारे गए हों। 40 प्रतिशत 60 प्रतिशत दिव्यांगता पर 74,000 रुपए प्रति व्यक्ति दिए जाएंगे। 60 प्रतिशत से अधिक दिव्यांगता पर 2.50 लाख रुपए प्रति व्यक्ति दिए जाएंगे। अस्पताल में एक सप्ताह से अधिक भर्ती होने पर 16,000 रुपए की आर्थिक सहायता। एक सप्ताह से कम भर्ती होने पर 5,400 रुपए की राशि दी जाएगी। शिविरों में भोजन, दवाएं मुफ्त मिलेंगी विस्थापितों के लिए अस्थायी शिविरों में भोजन, कपड़े, दवाएं फ्री उपलब्ध कराई जाएंगी। यह व्यवस्था 30 दिन तक चलेगी, बड़े संकट पर 60 दिन तक बढ़ाई जा सकेगी। पीने के पानी की व्यवस्था 30 दिन तक होगी, सूखे में 90 दिन तक। जरूरी सामान की हवाई आपूर्ति का खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी। मकान की आंशिक क्षति पर 65 हजार रुपए पक्का मकान (मैदानी क्षेत्र में) नष्ट होने पर 1.20 लाख रु. मिलेंगे। पहाड़ी क्षेत्र में मकान नष्ट होने पर 1.30 लाख रुपए दिए जाएंगे। आंशिक क्षति 15 प्रतिशत से अधिक होने पर पक्के मकान के लिए 65,000 रुपए मिलेंगे। कच्चे मकान की आंशिक क्षति के लिए 4,000 रुपए मिलेंगे। पूरी तरह नष्ट होने पर 8,000 रुपए प्रति झोपड़ी दिए जाएंगे। कारीगरों को उपकरण और सामग्री के नुकसान पर 5,000 रुपए प्रति कारीगर की मदद मिलेगी। किसानों को टिड्डी दल के हमले से हुए नुकसान पर दवाओं और उपकरणों का खर्च भी दिया जाएगा। घरेलू नुकसान के लिए 2500 रुपए दिए जाएंगे कपड़ों और घरेलू सामान के नुकसान पर 2,500 रुपए प्रति परिवार मिलेंगे। • आजीविका प्रभावित होने पर परिवार के दो सदस्यों को ‘ग्रैच्युटस रिलीफ (जीआर)’ दिया जाएगा। राशि मनरेगा जीए मजदूरी पर आधारित होगी। पक्ष और विपक्ष दोनों को आपदा फंड पर राजनीति करने की बजाये राहत कार्यों की और ध्यान देना चाहिए। राजनीतिक लाभ-हानि को इस समय अनदेखा करे। जनता संकट में है, उसके साथ खड़े होने का समय है।

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