एनसीबी प्रमुख ने नशामुक्त भारत के लिए संयुक्त प्रयासों पर दिया जोर

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के महानिदेशक अनुराग गर्ग ने कहा है कि नशामुक्त भारत का लक्ष्य केवल जब्ती कार्यवाहियों तक सीमित नहीं रह सकता, बल्कि ड्रग कार्टेल्स की रीढ़ तोड़ने के लिए उनकी पूरी कड़ियों की गहन जांच आवश्यक है।
दूसरे राष्ट्रीय एंटी-नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) प्रमुखों के सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए गर्ग ने राज्यों से आग्रह किया कि प्रत्येक एएनटीएफ कम से कम दस मामलों की पहचान कर उनकी 360 डिग्री जांच सुनिश्चित करे। जटिल मामलों को एनसीबी, एनआईए और ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों को सौंपा जाना चाहिए, ताकि अंतरराज्यीय और विदेशी नेटवर्क का प्रभावी रूप से पर्दाफाश हो सके।
गर्ग ने डार्कनेट और क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से होने वाली नशीली दवाओं की तस्करी पर रोक लगाने के लिए विशेषज्ञ सेल बनाने पर जोर दिया। उन्होंने सभी एजेंसियों से सामूहिक और रणनीतिक कार्रवाई का आह्वान करते हुए कहा कि यह केवल कानून प्रवर्तन का मुद्दा नहीं, बल्कि युवाओं के भविष्य को बचाने का मिशन है।
देशभर के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के एंटी-नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) प्रमुखों का दूसरा राष्ट्रीय सम्मेलन बुधवार को नई दिल्ली में सम्पन्न हुआ। इसमें सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने 2047 तक नशामुक्त भारत के लक्ष्य को साधने के लिए साझा जिम्मेदारी और सामूहिक संकल्प दोहराया।
यह दो दिवसीय सम्मेलन “संयुक्त संकल्प, साझा जिम्मेदारी” विषय पर आयोजित किया गया था, जिसका शुभारंभ 16 सितंबर को केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने किया। सम्मेलन का आयोजन नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने किया था, जिसमें 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के एएनटीएफ प्रमुखों के साथ कई सरकारी विभागों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
सम्मेलन में नशीली दवाओं के अवैध उत्पादन और वितरण को रोकने के लिए हॉटस्पॉट मैपिंग, सड़क स्तर से लेकर अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट्स तक नेटवर्क को जोड़ने, तटीय एवं समुद्री तस्करी मार्गों पर विशेष निगरानी और मांग में कमी लाने की रणनीतियों पर चर्चा हुई। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय सहयोग, इंटरपोल और विदेशी एजेंसियों से तालमेल, फरार अपराधियों के प्रत्यर्पण और वित्तीय खुफिया जानकारी के इस्तेमाल पर भी जोर दिया गया।

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