केन्द्रीय संस्कृति मंत्री से मिले सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति

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वाराणसी { गहरी खोज }: केन्द्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से वाराणसी सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने उनके दिल्ली स्थित आवास पर मुलाकात की। इस मुलाकात में केन्द्रीय मंत्री ने ज्ञान भारतम (राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन) के अन्तर्गत चल रहे पांडुलिपियों के संरक्षण कार्य में और अधिक गति प्रदान करने के लिए विस्तार से विचार-विमर्श किया। केन्द्रीय मंत्री ने इस कार्य में हर संभव सहयोग और समर्थन प्रदान करने का आश्वासन दिया।
उन्होंने कहा कि यह भारत की अमूल्य धरोहर है इसका संरक्षण सुचारू रूप से किया जा रहा है, जिसमें उत्तम कार्य और कुशलतापूर्वक तीव्र गति से समयावधि के अंतर्गत पूर्ण किया जाएगा। इसमें कुशल कर्मियों की संख्या को और बढ़ाकर कार्य कराया जाए।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शर्मा ने गुरूवार को बताया कि विश्वविद्यालय के सरस्वती भवन में संस्कृति मंत्रालय के अन्तर्गत ज्ञान भारतम (राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन) के द्वारा संरक्षित दुर्लभ पांडुलिपियों के लिए चल रहे संरक्षण कार्य को और गति देने के उद्देश्य से केन्द्रीय मंत्री से मुलाकात की। उन्होंने वर्तमान में चल रहे उनके संरक्षण कार्य की गति और आवश्यकता के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि सरस्वती भवन पुस्तकालय में 1 लाख 11 हजार 132 दुर्लभ पांडुलिपियां संरक्षित की गई है। खास बात ये है कि यहां रखी गई पांडुलिपियों में 1181 संवत की देश की सबसे प्राचीन श्रीमद्भागवत पुराण भी है। इसके अतिरिक्त भगवतगीता के स्वर्णाक्षरों में लिखी लिपि को भी यहां संरक्षित रखा गया है। ज्ञातव्य हो कि यह पांडुलिपि देश के सबसे प्राचीनतम कागज पर लिखी गई है। दुर्गासप्तशती 2 इंच के कपड़े के फीते पर लिखा गया है, जिसे मैग्नीफाइड ग्लास का प्रयोग कर देख सकतें है। इतना ही नहीं भगवान श्री कृष्ण के सूक्ष्म चित्रण को भी यहां के सरस्वती भवन लाइब्रेरी में सुरक्षित रखा गया है।

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