भारतीय सेना ने रामबन में बनाया 150 फीट का दो मंजिला अतिरिक्त चौड़ा बेली ब्रिज

- नागरिक प्रशासन के साथ मिलकर आवश्यक सत्यापन के बाद पुल को खोल दिया जाएगा
रामबन{ गहरी खोज }: हाल ही में हुई लगातार बारिश के कारण रियासी के रामबन क्षेत्र में करोल-मैत्रा मार्ग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बह गया। इसके बाद सेना की व्हाइट नाइट कोर के इंजीनियर सैनिकों ने रामबन के मेत्रा में 150 फीट का दो मंजिला अतिरिक्त चौड़ा बेली ब्रिज का निर्माण पूरा कर लिया है। एनएचएआई और नागरिक अधिकारियों के सहयोग से बनाए गए इस ब्रिज से रामबन में सड़क कनेक्टिविटी बहाल होगी।
व्हाइट नाइट कोर ने कहा कि यह पुल आवश्यक आपूर्ति, आपातकालीन सेवाओं और स्थानीय यातायात के सुचारू आवागमन को सुनिश्चित करते हुए महत्वपूर्ण संपर्क लिंक को बहाल करेगा। नागरिक प्रशासन के साथ मिलकर आवश्यक सत्यापन के बाद पुल को खोल दिया जाएगा।सेना ने पुल के निर्माण सहित दूरदराज के स्थानों में समय पर चिकित्सा, पशु चिकित्सा और खाद्य आपूर्ति प्रदान की है। इस दौरान 5000 से भी ज्यादा लोगों को राहत प्रदान की गई और आवश्यक चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए दूरदराज के गांवों में कई चिकित्सा शिविर आयोजित किए गए।
दरअसल, रामबन जिले में हाल ही में लगातार बारिश के कारण रामबन जिले को मुख्य भूमि से जोड़ने वाली करोल-मैत्रा रोड का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बह गया था। इससे दैनिक जीवन बाधित हो गया और स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से कनेक्टिविटी की तत्काल बहाली का अनुरोध किया। इस पर नागरिक प्रशासन ने भारतीय सेना से सहायता का अनुरोध किया।
इसके बाद व्हाइट नाइट इंजीनियर्स की एक टीम तैनात की गई और उन्होंने 150 फुट ट्रिपल पैनल डबल स्टोरी एक्स्ट्रा वाइड रीइन्फोर्स्ड बेली ब्रिज के लॉन्च को अंजाम दिया, जिसे भारी यातायात वहन क्षमता सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। बीआरओ, एनएचएआई, जिला प्रशासन और पुलिस विभाग रामबन और अन्य नागरिक एजेंसियों ने कार्य के शीघ्र निष्पादन में सहायता की। इसके अलावा परियोजना के तहत मानवीय सहायता और आपदा राहत अभियान किश्तवाड़, डोडा, रामबन, उधमपुर, रियासी, अखनूर, राजौरी और पुंछ जिलों को कवर करते हुए क्षेत्र में जारी रहा, जिससे मूसलाधार बारिश, भूस्खलन और बाढ़ से प्रभावित लोगों को समय पर राहत प्रदान की गई।