18 या 19 सितंबर.. कब है शुक्र प्रदोष व्रत? जानें शिव पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

धर्म { गहरी खोज } : हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व माना गया है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है। प्रत्येक माह यह व्रत दो बार आता है। एक बार शुक्ल पक्ष में और दूसरी बार कृष्ण पक्ष में। जब यह व्रत शुक्रवार के दिन पड़ता है, तब इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को विधि-विधान से करने पर सुख, समृद्धि, धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है और जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं।
इस बार का शुक्र प्रदोष व्रत 19 सितंबर 2025, शुक्रवार को मनाया जाएगा। खास बात यह है कि इस बार के व्रत में सिद्ध योग और साध्य योग का विशेष संयोग बन रहा है, जो इसे और अधिक फलदायी बना देता है। आइए जानते हैं इस व्रत से जुड़ी सभी खास बातें जैसे व्रत की तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त, राहुकाल और इसका महत्व।
व्रत की तारीख और तिथि का समय
दृक पंचांग के अनुसार, आश्विन मास की शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 18 सितंबर, गुरुवार रात 11:24 बजे होगा और यह समाप्त 19 सितंबर, शुक्रवार रात 11:36 बजे होगा। उदयातिथि और प्रदोष पूजा मुहूर्त के आधार पर व्रत का पालन 19 सितंबर 2025, शुक्रवार को किया जाएगा। इस दिन भगवान शिव की आराधना करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
सिद्ध योग और साध्य योग का संयोग
इस बार के शुक्र प्रदोष व्रत पर दो खास योग बनेंगे। सिद्ध योग व्रत वाले दिन प्रातःकाल से शुरू होकर रात 8:41 बजे तक रहेगा। इसके बाद साध्य योग प्रारंभ होगा, जो अगले दिन तक रहेगा। इन दोनों योगों का संयोग इस व्रत को अत्यंत शुभ और सफल बनाता है। व्रत वाले दिन अश्लेषा नक्षत्र सुबह 7:05 बजे तक रहेगा, जिसके बाद मघा नक्षत्र प्रारंभ होगा। यह संयोग शिव आराधना के लिए अत्यंत उत्तम है।
शिव पूजा का शुभ मुहूर्त
इस व्रत पर भगवान शिव की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस बार पूजा के लिए 2 घंटे 21 मिनट का शुभ समय उपलब्ध होगा। पूजा का मुहूर्त शाम 6:21 बजे से रात 8:43 बजे तक रहेगा। इस समय भगवान शिव, माता पार्वती और नंदी की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा दिन का ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:34 बजे से 5:21 बजे तक रहेगा, जबकि अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:50 बजे से 12:39 बजे तक रहेगा।
रात में भद्रा का साया
इस बार प्रदोष व्रत की रात में भद्रा का प्रभाव भी रहेगा। भद्रा का प्रारंभ 19 सितंबर की रात 11:36 बजे होगा और इसका समापन 20 सितंबर की सुबह 6:08 बजे पर होगा। भद्रा के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए क्योंकि यह समय अशुभ माना जाता है।
राहुकाल का समय और विशेष उपाय
व्रत के दिन राहुकाल का समय सुबह 10:43 बजे से दोपहर 12:15 बजे तक रहेगा। इस दौरान विशेष रूप से काल सर्प दोष को दूर करने के उपाय करने चाहिए। राहुकाल में भगवान शिव को जल अर्पित करना, महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना और शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाना विशेष लाभदायक माना जाता है। यह उपाय नकारात्मक ऊर्जा और ग्रह दोषों को दूर करते हैं।
प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत का महत्व विभिन्न पुराणों में वर्णित है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने और भगवान शिव की पूजा करने से सभी प्रकार के दोष और पाप नष्ट हो जाते हैं। जीवन से संकट और कष्ट समाप्त होते हैं और परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। यह व्रत विशेष रूप से वैवाहिक जीवन में मधुरता और परिवार में खुशहाली लाने वाला माना जाता है। साथ ही, यह काल सर्प दोष, पितृ दोष और ग्रहों के अशुभ प्रभावों को भी समाप्त करता है।
व्रत विधि और पूजा सामग्री
सुबह स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। भगवान शिव, माता पार्वती और नंदी की प्रतिमा या शिवलिंग को गंगाजल से स्नान कराएं। पूजा में चंदन, बेलपत्र, अक्षत, फल, धूप-दीप, दूध, दही, घी और शहद का प्रयोग करें। भगवान शिव को सफेद फूल और सफेद वस्त्र अर्पित करना शुभ माना जाता है। महामृत्युंजय मंत्र या शिव मंत्र का 108 बार जाप करें और अंत में आरती कर परिवार की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।