हिमाचल में नदी-नालों से 100 मीटर के फासले पर नहीं बनेंगे सरकारी संस्थान : सीएम सुक्खू

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शिमला{ गहरी खोज }: हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और जाती मानसून से हुई तबाही के बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बड़ा ऐलान किया है। मुख्यमंत्री ने मंगलवार को शिमला में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अब प्रदेश में कोई भी सरकारी संस्थान नदी और नालों से 100 मीटर की दूरी पर ही बनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस संबंध में उनकी शहरी विकास मंत्री से भी चर्चा हो चुकी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि नदी और नाले लगातार अपना बहाव बदल रहे हैं और इनके किनारे निर्माण करना खतरनाक साबित हो रहा है। मंडी जिला के धर्मपुर बस अड्डे का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इसे नदी-नाले से मात्र 20 से 25 मीटर की दूरी पर बनाया गया था, जिसके चलते इस बार करीब 6 करोड़ रुपये का नुकसान केवल बसों को हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बीती रात प्रदेश के कई हिस्सों में भारी बारिश हुई। सुंदरनगर के निहरी क्षेत्र में तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि कांगड़ा जिले में 13 प्रभावित परिवारों को सुरक्षित आश्रय स्थलों में ठहराया गया है। पानी, सिंचाई और बिजली योजनाओं को भी भारी नुकसान पहुंचा है। उन्होंने बताया कि पिछले तीन वर्षों में प्रदेश को करीब 20 हजार करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। सरकार की कोशिश है कि जानमाल का नुकसान न्यूनतम रहे। सुक्खू ने कहा कि क्लाइमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन) भी इस तबाही की एक बड़ी वजह है। बागबानों की फसलों को भी व्यापक नुकसान हुआ है।
कांग्रेस विधायक चंद्रशेखर के आमरण अनशन पर बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने जो मुद्दा उठाया है उस पर केंद्र सरकार को गंभीर होना चाहिए। जब केंद्र सरकार के अधिकारी डीपीआर तैयार करें तो उन्हें स्थानीय इंजीनियरों से भी सलाह लेनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने बताया कि उनके व्यक्तिगत आग्रह पर विधायक ने अपना अनशन खत्म किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रदेश के लिए घोषित 1500 करोड़ रुपये की सहायता पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी नजरें इस राहत पैकेज पर टिकी हैं। देखना यह होगा कि यह राशि स्कीम बेस्ड आती है या विशेष राहत पैकेज के रूप में मिलती है। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं के बार-बार केंद्र से मंत्री भेजने से कुछ नहीं होगा। यदि मंत्री हिमाचल के लिए धन और विशेष पैकेज लेकर आते हैं तो इसका वास्तविक लाभ मिलेगा। केवल राजनीतिक लाभ के लिए दौरों से जनता की समस्याओं का हल नहीं होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि संसाधन सीमित होने और आर्थिक तंगी के बावजूद राज्य सरकार प्रभावितों को राहत पहुंचाने का काम कर रही है। जिन परिवारों के पूरे मकान तबाह हो गए हैं उन्हें 7 लाख रुपये की राहत राशि दी जाएगी। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 1500 करोड़ की सहायता की प्रतीक्षा है।

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