सेना की 753 मीट्रिक टन शीतकालीन सामग्री पहुंचाकर विशेष ट्रेन कश्मीरी सेब लेकर दिल्ली लौटी

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श्रीनगर{ गहरी खोज }: सेना के लिए लगभग 753 मीट्रिक टन शीतकालीन भंडारण सामग्री पहुंचाकर विशेष मालगाड़ी कश्मीरी सेब लेकर दिल्ली लौटी है। यह ट्रेन सेना के रसद क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुई है, जो उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक पर दोहरे उपयोग वाले रसद के एक नए चरण का संकेत है।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सोमवार को बडगाम से नई दिल्ली के आदर्श नगर के लिए पहली समर्पित पार्सल ट्रेन को हरी झंडी दिखाई थी। 180 टन क्षमता वाली आठ पार्सल वैन वाली यह ट्रेन प्रतिदिन 23 से 24 टन जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं, मुख्यतः सेब, को उत्तरी बाज़ारों तक ले जाएगी। यह मालगाड़ी 15 सितंबर को बीडी बारी (कटरा के पास) से अनंतनाग पहुंची, जिसमें सेना के लिए राशन, ईंधन, दवाइयां और अन्य जरूरी 753 मीट्रिक टन सामान लदा था। जम्मू-कश्मीर में तैनात सेना की इकाइयों के लिए यह सामान इसलिए भेजा गया था, ताकि सर्दियों में बर्फीले हिमालयी इलाके में कोई कमी न हो सके। पहले सेना सड़कों के जरिये ट्रक से सामान भेजती थी, लेकिन भूस्खलन या बर्फबारी की वजह से दिक्कत आती थी। अब इस विशेष मालगाड़ी के जरिये तेज और सुरक्षित तरीके से सेना की रसद सामग्री भेजने में आसानी होगी।
एक रक्षा प्रवक्ता ने कहा कि अभी तक सेना के स्टॉकिंग ऑपरेशन बर्फ और भूस्खलन की आशंका वाले सड़क काफिलों पर निर्भर थे। अब नए 272 किलोमीटर लंबे उद्धमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) के माध्यम से सेना को घाटी और कारगिल-लद्दाख तक हर मौसम में पहुंच मिली है। उन्होंने कहा कि वापसी में इसी मालगाड़ी से भारतीय बाजारों के लिए कश्मीरी सेबों की खेप भेजने में आसानी होगी। भूस्खलन और बाढ़ के कारण राजमार्ग बंद होने से लंबे समय से नुकसान झेल रहे कश्मीर के किसानों को उम्मीद है कि नए माल ढुलाई विकल्प से लागत कम होने के साथ ही माल की बर्बादी कम होगी और आय में सुधार होगा।
सेना के अधिकारियों ने इसे रसद में सैन्य-नागरिक संलयन का एक अनूठा प्रदर्शन बताया, क्योंकि वापसी में मालगाड़ी के रेक को भारत के बाजारों के लिए सेब की खेपों से भरा गया था। मंडल रेल प्रबंधक विवेक कुमार ने इसे एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताया, जबकि वरिष्ठ वाणिज्यिक प्रबंधक उचित सिंघल ने कहा कि यह घाटी में माल परिवहन में क्रांति लाएगा। कश्मीर के किसानों के लिए इससे समृद्धि के नए रास्ते खुलेंगे और घाटी की प्रमुख फसल राजमार्ग की अनिश्चितताओं के बिना पहाड़ों से आगे बढ़ सकेगी।

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