आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेदिक परंपरा ऋतु शोधन के बारे में बताया।- मौसम के हिसाब से शरीर की सफाई जरूरी

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लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: स्वस्थ जीवन पाने के लिए ज्यादातर लोग अब आयुर्वेद का सहारा ले रहे हैं। इस बीच आयुष मंत्रालय ने सोमवार को अपने इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए एक पुरानी, लेकिन बेहद असरदार आयुर्वेदिक परंपरा ऋतु शोधन के बारे में बताया। ऋतु शोधन का आसान मतलब मौसम के अनुसार शरीर की सफाई है। यह सिर्फ एक उपचार नहीं, बल्कि शरीर और मन को तरोताजा करने का एक प्राकृतिक तरीका है। अपने पोस्ट में आयुष मंत्रालय ने बताया कि ऋतु शोधन के तहत विरेचन (लैक्सेटिव्स) और वमन (इमेटिक्स) जैसे उपचारों से शरीर को भीतर से शुद्ध किया जाता है।विरेचन शरीर से विषैले मलद्रव्यों को निकालने की प्रक्रिया होती है। वहीं, वमन यानी जानबूझकर उल्टी कराना, जिससे पेट और फेफड़ों में जमा अवांछित तत्व बाहर निकल जाते हैं। दोनों विधियां आयुर्वेद में पंचकर्म का हिस्सा मानी जाती हैं। पोस्ट में बताया गया है कि ये उपचार मौसम के अनुसार किए जाने चाहिए, जिससे शरीर प्राकृतिक रूप से वातावरण के साथ तालमेल बैठा सके। जब शरीर के भीतर से विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं, तो न केवल पाचन तंत्र मजबूत होता है, बल्कि मानसिक स्थिति भी बेहतर होती है। ऋतु शोधन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे मौसम बदलने पर होने वाले सामान्य बुखार, सर्दी-जुकाम और एलर्जी जैसी परेशानियों से बचाव होता है।इसके अलावा, यह उन लोगों के लिए भी फायदेमंद है, जो जीवनशैली से जुड़ी समस्याओं जैसे मोटापा, अपच, त्वचा रोग या मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं। अगर आयुर्वेद के सरल सिद्धांतों को अपनाया जाए और मौसम के अनुसार शरीर की देखभाल की जाए, तो हम न केवल बीमारियों से दूर रह सकते हैं, बल्कि एक बेहतर और संतुलित जीवन भी जी सकते हैं। ऋतु शोधन जैसे पारंपरिक उपचार आज की दुनिया में नई उम्मीद बनकर उभर रहे हैं, जो न सिर्फ पर्यावरण के अनुकूल हैं, बल्कि पूरी तरह से प्राकृतिक भी हैं।

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