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संपादकीय { गहरी खोज }: निर्वाचन आयोग की राज्यों के मुख्य चुनाव आयोगों की एक दिवसीय बैठक के बाद जो जानकारी अधिकारियों के माध्यम से सामने आई उस अनुसार, अगले वर्ष होने वाले कुछ विधानसभाओं के चुनावों से पहले देशभर में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एस.आई.आर) काम पूरा करने की तैयारी में है। चुनाव आयोग मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे पिछली एस.आई.आर के बाद प्रकाशित हुई अपने राज्यों की मतदाता सूची तैयार रखें। आयोग ने कहा है कि बिहार के बाद, पूरे देश में एस.आई.आर की कवायद होगी। असम, केरल, पुड्डुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं। निर्वाचन आयोग के अनुसार इस गहन संशोधन का मुख्य उद्देश्य विदेशी अवैध प्रवासियों के जन्म स्थान की पड़ताल करके उन्हें बाहर निकालना है। आयोग का कहना है कि यह कदम बांग्लादेश और म्यांमार समेत विभिन्न राज्यों में अवैध विदेशी प्रवासियों पर कार्रवाई के मद्देनजर महत्त्वपूर्ण है। विपक्षी दलों द्वारा भाजपा की मदद के लिए आयोग पर मतदाता आंकड़ों में हेराफेरी करने के आरोपों के बीच, निर्वाचन आयोग ने गहन संशोधन में अतिरिक्त कदम उठाए हैं। राज्यों में अंतिम एस.आई.आर ‘कट ऑफ’ तिथि के रूप में काम करेगी, ठीक वैसे ही जैसे कि निर्वाचन आयोग गहन पुनरीक्षण के लिए बिहार की 2003 की मतदाता सूची का उपयोग कर रहा है। अधिकतर राज्यों ने 2002 और 2004 के बीच मतदाता सूचियों का संशोधन किया था। राज्य के बाहर से आने वाले आवेदकों की एक श्रेणी के लिए एक अतिरिक्त ‘घोषणा पत्र’ पेश किया गया है। उन्हें यह शपथपत्र देना होगा कि उनका जन्म एक जुलाई, 1987 से पहले भारत में हुआ था। इसके लिए दस्तावेज देना होगा। उन्हें अपने माता-पिता की जन्मतिथि/स्थान के बारे में भी दस्तावेज जमा करने होंगे। निर्वाचन आयोग ने बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद मतदाताओं की पहचान स्थापित करने के लिए आधार कार्ड को एक अतिरिक्त दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाए। राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को इस संबंध में पत्र लिखा गया है। गौर हो कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया था कि वह बिहार में ‘आधार’ को भी दस्तावेज के रूप में शामिल करे। उसने आयोग से नौ सितंबर तक निर्देश लागू करने को कहा था।

भारत के पड़ोसी देशों के हालातों को देखते हुए देशभर में मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण कराना आवश्यक है। क्योंकि अवैध घुसपैठिए अगर देश की राजनीति को अपने अवैध मत से प्रभावित करने की स्थिति में हुए तो यह स्थिति देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए घातक ही सिद्ध होगी। बिहार में मतदाता सूचियों की गहन छानबीन को लेकर जिस तरह की ब्यानबाजी हुई तथा जिस तरह चुनाव आयोग को कटघरे में खड़े किए जाने के प्रयास हुए वह खेदजनक हैं। राजनीतिक दलों का लक्ष्य सत्ता प्राप्ति ही है। लेकिन सत्ता प्राप्ति के लिए देश की संवैधानिक संस्थाओं की छवि व साख के साथ खिलवाड़ करना देशहित में नहीं, क्योंकि इससे जन साधारण के भ्रमित होने की आशंकाएं बढ़ जाती हैं और यह स्थिति देशहित में नहीं। अब देशभर में मतदाता सूचियों की गहन जांच होने जा रही है, कम से कम इस बार राजनीति न की जाए। क्योंकि लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत बनाये रखने के लिए चुनाव आयोग द्वारा उठाया जाने वाला कदम आवश्यक व देशहित में है।

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