अडानी पोर्ट पर प्रतिबंधित जहाजों की नो-एंट्री

नई दिल्ली{ गहरी खोज }: अडानी ग्रुपने अपने पोर्ट्स पर बड़ा फैसला लेते हुए उन जहाजों को एंट्री न देने की घोषणा की है, जिन पर पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध लगाए हैं। सूत्रों के अनुसार यह कदम खासकर गुजरातस्थित मुंद्रा पोर्ट पर लागू होगा, जहां से नियमित रूप से रूसी तेल आयात होता है। इस फैसले से भारत में मौजूद दो बड़ी रिफाइनरियों पर असर पड़ सकता है, जो अपनी आपूर्ति का बड़ा हिस्सा यहीं से लेती हैं।
भारत समुद्री रास्ते से रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है। लेकिन इस आपूर्ति के लिए इस्तेमाल होने वाले अधिकांश टैंकर यूरोपीय संघ, अमेरिका और ब्रिटेन की पाबंदियों के दायरे में हैं। ऐसे में यह फैसला सीधे तौर पर कच्चे तेल की खरीद पर असर डाल सकता है। HPCL-मित्तल एनर्जी अपनी पूरी आपूर्ति मुंद्रा पोर्ट से मंगवाती है। यह कंपनी पंजाब के बठिंडा में 2.26 लाख बैरल प्रतिदिन की क्षमता वाली रिफाइनरी संचालित करती है। अब इसे वैकल्पिक व्यवस्था तलाशनी पड़ सकती है।
इसी तरह सरकारी तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पभी मुंद्रा पोर्ट से आयात करती है। देश की सबसे बड़ी रिफाइनिंग क्षमता रखने वाली यह कंपनी 10 रिफाइनरियों को विभिन्न पोर्ट्स से आपूर्ति सुनिश्चित करती है।अडानी ग्रुप के नए नियमों से इसकी सप्लाई चेन पर भी दबाव बन सकता है।
हालांकि जब इस फैसले पर आईओसी , HMEL और अडानी ग्रुप से प्रतिक्रिया मांगी गई तो किसी ने तत्काल जवाब नहीं दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि वैकल्पिक पोर्ट का इस्तेमाल नहीं हुआ तो कच्चे तेल की लागत बढ़ सकती है। पश्चिमी देशों की सख्ती को ध्यान में रखते हुए अडानी(Adani) ग्रुप ने यह फैसला किया है। प्रतिबंधित जहाजों की एंट्री रोकने से ग्रुप संभावित कानूनी और कारोबारी जोखिम से बचना चाहता है। भारत की कई रिफाइनरियां विशेष रूप से मुंद्रा पोर्ट से आयात पर निर्भर हैं। अगर प्रतिबंधित जहाज रुकते हैं तो कंपनियों को वैकल्पिक बंदरगाह या अन्य सप्लाई चैनल ढूंढने होंगे, जिससे समय और लागत दोनों प्रभावित होंगे।