प्रधानमंत्री के दृढ़ संकल्प के चलते रेल से जुड़ेगा मिजोरम : अश्विनी वैष्णव

आइजोल{ गहरी खोज }: रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को बइरबी-सायरंग रेलवे लाइन शुरुआत से एक दिन पहले इस रेल खंड का दौरा किया और दो स्टेशनों के बीच यात्रा की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृढ़ संकल्प के कारण आज पूर्वोत्तर का एक और राज्य बाकी देश से जुड़ने जा रहा है।
रेल मंत्री ने यहां सायरंग में पत्रकारों से कहा कि कल प्रधानमंत्री मिजोरम की रेल कनेक्टिविटी का उद्घाटन करेंगे। उन्होंने कहा कि परियोजना काफी कठिन थी और प्रधानमंत्री मोदी के दृढ़ संकल्प के कारण हम इसे पूरा कर पाए। परियोजना के बारे में मंत्री ने कहा कि इस रेलवे लाइन में 45 सुरंगे और 55 बड़े एवं 88 छोटे पुल हैं। एक पुल की ऊंचाई कुतुब मीनार से भी ज्यादा यानी 114 मीटर है। कल प्रधानमंत्री रेलवे लाइन का उद्घाटन करेंगे। तीन ट्रेनों का परिचालन शुरु होगा और ये ट्रेन राजधानी आइजोल को देश के अन्य राज्यों से जोड़ेगी।
रेल मंत्री ने कहा कि इस रेल कनेक्टिविटी से सबसे बड़ा लाभ माल ढुलाई का सस्ता होना है। जल्द ही माल ढुलाई भी शुरू होगी। इससे सीमेंट, स्टील और अन्य सामग्री को यहां तक पहुंचना आसान होगा। जीएसटी में हालिया कटौती के साथ माल ढुलाई सस्ती होने से मिजोरम के लोगों को दोहरा लाभ होगा।
प्रधानमंत्री कल तीन नई एक्सप्रेस ट्रेनों को भी हरी झंडी दिखाएंगे। इनमें सायरंग (आइजोल)–दिल्ली (आनंद विहार टर्मिनल) राजधानी एक्सप्रेस, सायरंग–गुवाहाटी एक्सप्रेस और सायरंग–कोलकाता एक्सप्रेस शामिल हैं। बैराबी–सायरंग रेल परियोजना अद्वितीय इंजीनियरिंग उपलब्धियों का उदाहरण है। इसमें 48 सुरंगें (कुल लंबाई: 12,853 मीटर), 55 बड़े पुल, 88 छोटे पुल, 5 रोड ओवर ब्रिज और 6 रोड अंडर ब्रिज शामिल हैं। इनमें से सबसे उल्लेखनीय पुल संख्या 144 है। इसकी ऊंचाई 114 मीटर है। यह क़ुतुब मीनार से 42 मीटर अधिक है।
बइरबी-सायरंग का पूरा रास्ता हरे भरे पहाड़ों और घाटियों से होकर गुजरता है। इससे मिजोरम राज्य की प्राकृतिक सुंदरता साफ नजर आती है। रास्ते में कुछ एक स्थानों पर ही स्थानीय ढंग से बने घर नजर आते है, बाकी हिस्सा मानवीय पहुंच से अछूता प्रतीत होता है। इस रेल मार्ग की सुरंगों को आकर्षक भित्तिचित्रों से सजाया गया है। यह मिज़ो संस्कृति की जीवंतता को दर्शाते हैं। ये कलात्मक चित्रण सुरंगों को केवल तकनीकी संरचना न बनाकर जीवंत सांस्कृतिक कथाओं में बदल देते हैं। इससे यात्रा एक सांस्कृतिक अनुभव का रूप ले लेती है।
रेल अधिकारियों के अनुसार रेल लाइन कठिन पहाड़ी इलाक़ों और जटिल लॉजिस्टिक चुनौतियों को पार करते हुए बनाई गई है। यह न केवल भारतीय रेल नेटवर्क को मजबूत बनाती है बल्कि रेल कनेक्टिविटी बढ़ाने और परिवहन लागत घटाने में भी अहम भूमिका निभाती है। इस परियोजना से मिज़ोरम के लोगों को सीधा लाभ मिलेगा। परिवहन और पहुंच अधिक सहज हो जाएगी। यह नई रेल संपर्क सुविधा प्रदान करेगी। इससे क्षेत्रीय गतिशीलता में सुधार होगा। इसके साथ ही यह स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देगी। व्यापारिक गतिविधियों को प्रोत्साहन और क्षेत्रीय आर्थिक विकास को गति मिलेगी। यह रेल लाइन पूर्वोत्तर राज्यों के बीच रेल संपर्क को और मज़बूत करेगी। साथ ही यह रोज़गार के अवसर पैदा करेगी और स्टेशनों व माल गोदामों के आसपास छोटे व्यवसायों की वृद्धि को भी प्रोत्साहित करेगी। इससे स्थानीय जीवन स्तर में सुधार होगा।
बैराबी–सैरांग रेल परियोजना कुल 51.38 किलोमीटर लंबी है और इसकी संशोधित स्वीकृत लागत लगभग 5021.45 करोड़ रुपये है। परियोजना को चार खंडों में पूरा किया गया है। इनमें बैराबी–होर्टोकी (16.72 किमी) खंड जुलाई 2024 में चालू किया गया, जबकि होर्टोकी–काउनपुई (9.71 किमी), काउनपुई–मुअलकांग (12.11 किमी) और मुअलकांग–सैरांग (12.84 किमी) खंड जून 2025 में सफलतापूर्वक चालू कर दिए गए।
मिज़ोरम को भारतीय रेल नेटवर्क से जोड़ने की दिशा में ऐतिहासिक कदम वर्ष 2014 में उठाया गया। 29 नवंबर 2014 को प्रधानमंत्री मोदी ने गुवाहाटी के मालीगांव स्थित रेलवे स्टेडियम में आयोजित समारोह में बइरबी-सायरंग तक नई रेल लाइन का शिलान्यास रिमोट माध्यम से किया। इसके बाद 27 मई 2016 को प्रधानमंत्री ने बइरबी से सिल्चर के बीच यात्री ट्रेन को वर्चुअली हरी झंडी दिखाई। इसी क्रम में 21 मार्च 2016 को पहली बार चौड़ी पटरी पर चलने वाली वाणिज्यिक मालगाड़ी, जिसमें 42 डिब्बों में चावल लदा हुआ था, सफलतापूर्वक मिज़ोरम के बइरबी स्टेशन पहुंची।