खेलों को राष्ट्र के लिए सामूहिक और साझा मिशन बनना चाहिए : मांडविया

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  • खेलों को हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बनाना होगा : आईओए अध्यक्ष पीटी उषा

नई दिल्ली{ गहरी खोज }: भारत मंडपम में शुक्रवार से दो दिवसीय सम्मेलन प्लेकॉम2025: बिज़नेस ऑफ स्पोर्ट्स समिट शुरू हुआ है। केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने समिट में कहा कि खेलों को राष्ट्र के लिए एक सामूहिक और साझा मिशन बनना चाहिए।उन्होंने केपीएमजी स्पोर्टस्टार इंडिया बिज़नेस ऑफ स्पोर्ट्स रिपोर्ट का अनावरण किया और स्पोर्ट्स टेक एंड मैन्युफैक्चरिंग एक्सपो का उद्घाटन किया, जिसमें खेल उद्योग में नवाचार और सहयोग को प्रदर्शित किया गया।
यह दो दिवसीय सम्मेलन द हिंदू ग्रुप के स्पोर्टस्टार की ओर से केपीएमजी इंडिया के सहयोग से नई दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है। डॉ. मांडविया ने अपने संबोधन में कहा कि खेल एक जन आंदोलन बनना चाहिए, जिसमें हर नागरिक की भागीदारी हो। उन्होंने टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) जैसी सरकारी पहलों का जिक्र किया, जो एलीट खिलाड़ियों को विश्व स्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराती है। उन्होंने कहा कि भारतीय खेलों को आगे बढ़ाने के लिए हमें एक समग्र दृष्टिकोण, एक विज़न डॉक्युमेंट, स्पष्ट योजना और सभी हितधारकों की भागीदारी की आवश्यकता है।
राष्ट्रीय खेल नीति पर उन्होंने कहा कि यह नीति वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं से प्रेरित है, लेकिन हमारे अपने मॉडल में निहित है। हमें दुनिया से सीखना है, लेकिन ढांचा भारत की विशिष्ट ताक़तों को दर्शाना चाहिए। नीति सुशासन, मज़बूत इंफ्रास्ट्रक्चर, खेल विज्ञान के उपयोग और व्यवस्थित प्रतिभा पहचान व पोषण पर ज़ोर देती है। मंत्री ने भारत की विविधता को एक अनूठी ताक़त बताते हुए कहा कि साल के एक ही समय पर, हमारे देश का एक हिस्सा हिमालय में भारी बर्फबारी झेलता है, तो दूसरा हिस्सा राजस्थान के रेगिस्तानों में 45 डिग्री की गर्मी का सामना करता है, जबकि दक्षिण भारत में तमिलनाडु में मानसून की बारिश होती है। दुनिया में कहीं और इतनी विविधता नहीं है। भारत के गांवों, शहरों और जनजातीय इलाकों में प्रतिभा है। हमारी ज़िम्मेदारी है कि ऐसा इकोसिस्टम बनाएं, जो हर प्रतिभाशाली बच्चे को अवसर दे।
उन्होंने खेलो इंडिया और फिट इंडिया जैसी जमीनी स्तर की योजनाओं का उदाहरण देते हुए कहा कि संडेज ऑन साइकिल आंदोलन की शुरुआत सिर्फ 250 क्लबों से हुई थी, लेकिन अब यह पूरे देश में 8,000 से ज़्यादा जगहों पर फैल चुका है। यह साबित करता है कि भारत में न जुनून की कमी है और न ही क्षमता की। हमारे युवाओं को सिर्फ अवसर, सम्मान और सही माहौल की ज़रूरत है। अपने विज़न पर ज़ोर देते हुए उन्होंने कहा कि हर बच्चा खेल के प्रति जुनून लेकर बड़ा हो, हर गली खेल का मैदान बने और हर पोडियम पर भारत का तिरंगा लहराए।
भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष और दिग्गज एथलीट पीटी उषा ने कहा कि भारत को खेलों के दायरे को और विस्तृत करना होगा। उन्होंने कहा कि हमारा विज़न होना चाहिए कि भारत सिर्फ क्रिकेट या कुछ खेलों में ही नहीं, बल्कि एथलेटिक्स, स्विमिंग, जिमनास्टिक्स, साइक्लिंग और अन्य खेलों में भी उत्कृष्टता हासिल करे। यही भविष्य है जिसके लिए हमें मिलकर काम करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की खेल क्षमता को खोलने के लिए सांस्कृतिक बदलाव आवश्यक है, खेल सिर्फ बड़े मैच के दौरान देखने की चीज़ नहीं होनी चाहिए। इसे हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बनना चाहिए। हर स्कूल को बच्चों को खेलने का समय और स्थान देना चाहिए। हर समुदाय में लड़कों और लड़कियों के लिए सुरक्षित मैदान होने चाहिए। माता-पिता को खेल को जोखिम नहीं, बल्कि अवसर के रूप में देखना चाहिए। जब हम ऐसी संस्कृति बनाएंगे, तो पदक और रिकॉर्ड अपने आप हमारे पास आयेंगे।

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