तेजा सज्जा की ‘मिराय’ में विजुअल्स लाजवाब, पर विलेन की कमजोरी बनी सबसे बड़ी खामी

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मुंबई{ गहरी खोज }: तेजा सज्जा, ये वही एक्टर हैं जो पिछले साल जनवरी में ‘हनु मान’ में नजर आए थे। फिल्म ने जमकर कमाई की थी और साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों की फेहरिस्त में इसका नाम बरकरार रहा था। अब लगभग डेढ़ साल बाद तेजा ‘मिराय’ लेकर आए हैं, जिसमें वो लगभग ‘हनु मान’ जैसे ही किरदार में नजर आ रहे हैं।
‘कार्तिकेय 2’, ‘कांतारा’, ‘हनु मान’, ‘कल्कि’, ‘महावतार नरसिम्हा’, ‘लोका’ और अब ‘मिराय’। साउथ के मेकर्स ने ये जो माइथोलॉजिक, एडवेंचर और सुपरहीरो फिल्मों का कॉन्सेप्ट पकड़ा है, ये बड़ा ही कमाल का चल रहा है। इसकी बड़ी वजह यह भी है कि इन फिल्मों की कहानी कुछ अलग और मास अपीलिंग होती है।
खैर बात करते है ‘मिराय’ की तो यह फिल्म भी ‘हनु मान’ की तरह बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई करने वाली है। हालांकि, इसके लिए इसे ‘जॉली एलएलबी 2’ और 2 अक्टूबर को रिलीज होने जा रही ‘कांतारा चैप्टर 1’ का डटकर सामना करना पड़ेगा। चलिए अब जानते हैं कैसी है यह फिल्म…
फिल्म की कहानी नौ ग्रंथों के इर्द-गिर्द बुनी गई है, जिन्हें संभालने की जिम्मेदारी सम्राट अशोक ने अलग-अलग योद्धाओं को दी थी। इन ग्रंथों में वो ताकत है जो मनुष्यों को देवताओं में बदल सकती है। काले जादू और तंत्र विद्या में निपुण बेरहम महाबीर लामा (मांचू मनोज) एक-एक करके इन ग्रंथों की ताकत हासिल करता जा रहा है। अब वो नौवें ग्रंथ की खोज कर रहा है और उसे रोकने के लिए योद्धा अंबिका (श्रेया सरन) एक बेटे को जन्म देती है। अंबिका अपने बेटे वेधा (तेजा सज्जा) को जन्म देकर उसे एक मंदिर में छोड़ देती है। वहां उसे एक अघोरी पालता है। वक्त गुजरता है और वर्तमान में वेधा बड़ा होकर चोर बन जाता है। वेधा को ढूंढने के लिए योद्धा विभा (रितिका नायक) को भेजते हैं। इसके बाद शुरू होती है वेधा की खुद को पहचानने की खोज। क्या वेधा खुद को वक्त रहते हुए खोज पाएगा? क्या है ‘मिराय’ और वेधा उस तक कैसे पहुंचेगा? महाबीर लामा इतना बेरहम कैसे बना और क्या उसका वेधा से कोई नाता है? इन सवालों के जवाब आपको फिल्म देखकर मिलेंगे।
तेजा सज्जा ने अपना किरदार वैसे ही निभाया जैसी उनसे उम्मीद थी। कई सीन देखकर ऐसा लगता है जैसे थिएटर में फिर से ‘हनु मान’ रिलीज हुई है। एक्शन सीन में उनके एक्सप्रेशन अच्छे हैं। विलेन के तौर पर मांचू मनोज कमजोर लगे हैं। वो पूरी फिल्म में लगभग एक ही एक्सप्रेशन में रहे हैं। उनसे बेहतर एक्सप्रेशन उनके बचपन का रोल निभाने वाले कलाकार ने दिए। दिल्ली की रहने वाली रितिका नायक साउथ की इस फिल्म में मासूमियत लाती हैं। श्रेया सरन फिल्म की जान हैं। उनका काम भी एक नंबर है। जगपति बाबू और राज जुत्शी समेत बाकी कलाकारों का काम भी बढ़िया है।
फिल्म का निर्देशन कार्तिक ने किया है। उन्होंने इस फिल्म से एक नया यूनिवर्स बनाया है, जिसके दूसरे भाग में राणा दग्गुबाती विलेन होंगे। कार्तिक का काम अच्छा है। फिल्म में हर एक चीज का उन्होंने सही वक्त पर इस्तेमाल किया है। न दर्शकों को बोर होने दिया और न ही वीएफएक्स जरूरत से ज्यादा होने दिया। ऐसी फिल्मों को रोमांचक बनाए रखना बड़ा मुश्किल होता है, जहां पहले से ही पता हो कि अंत में हीरो को उसकी ताकत पता चल ही जाएगी और वो सबको बचाएगा ही। कार्तिक ने फिल्म का रोमांच कहीं कम नहीं होने दिया।
फिल्म की ताकत है इसकी कहानी और इसे पेश करने का तरीका। आप कहीं भी कन्फ्यूज नहीं होते। एक्शन सीन बढ़िया हैं। बाकी फिल्म के विजुअल्स भी बढ़िया हैं। हर किरदार की बैकग्राउंड स्टोरी दिखाई गई है जिससे आप उससे और ज्यादा जुड़ पाते हैं।
कुछ सीन में कॉमेडी जबरदस्ती ठूंसी गई है। साउथ की फिल्मों में हीरो की एंट्री मास होनी चाहिए, वो यहां थोड़ी कमजोर है। क्लाइमैक्स सीन को एकदम से ही खत्म कर दिया जाता है, वह थोड़ा खटकेगा। आज के दौर में इस तरह की फिल्में पसंद की जा रही हैं। ‘हनु मान’ और ‘लोका’ पसंद आई है तो इसे भी देख सकते हैं। फिल्म आपको कहीं बोर तो नहीं करेगी। बाकी आप समझदार हैं, सभी जानते हैं कि पोस्ट क्रेडिट सीन तक रुकना अब एक रिवाज बन चुका है।

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